________________
४०८]
[व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र [९ प्र.] हे भगवन् ! जब जम्बूद्वीप के दक्षिणार्द्ध में अठारह मुहूर्तानन्तर (मुहूर्त से कुछ कम) का दिवस होता है, तब क्या उत्तरार्द्ध (उत्तर) में भी अठारह मुहूर्तानन्तर का दिवस होता है ? और जब उत्तरार्द्ध में अठारह मुहूर्तानन्तर का दिन होता है, तब क्या जम्बूद्वीप में मन्दर पर्वत से पूर्व पश्चिम दिशा में सातिरेक (कुछ अधिक) बारह मुहूर्त की रात्रि होती है ?
___ [९ उ.] हाँ, गौतम! (यह इसी तरह होती है; अर्थात्-) जब जम्बूद्वीप के....यावत् रात्रि होती
है।
१०. जदा णं भंते! जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिमेणं अट्ठारसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवति तदा णं पच्चत्थिमेणं अट्ठारसमुहुत्ताणंतो दिवसे भवति ? जदा णं पच्चत्थिमेणं अट्ठारसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवति तदा णं जंबूहीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणेणं साइरेगा दुवालसमुहुत्ता राती भवति ?
हंता, गोयमा! जाव भवति। । [१० प्र.] भगवन्! जब जम्बूद्वीप के मन्दराचल से पूर्व में अठारह मुहूर्त्तानन्तर का दिन होता है, तब क्या पश्चिम में भी अठारह मुहूर्तानन्तर का दिन होता है ? और जब पश्चिम में अठारह मुहूर्तानन्तर का दिन होता है, तब क्या जम्बूद्वीप में मेरु-पर्वत से उत्तर दक्षिण में भी सातिरेक बारह मुहूर्त की रात्रि होती है ?
[१० उ.] हाँ गौतम ! (यह इसी तरह) यावत् होती है।
११. एवं एतेणं कमेणं ओसारेयव्वं सत्तरसमुहत्ते दिवसे, तेरसमुहुत्ता राती। सत्तरसमुहुत्ताणंतरे दिवसे, सातिरेगा तेरसमुहुत्ता राती। सोलसमुहुत्ते दिवसे, चोद्दसमुहुत्ता राती। सोलसमुहत्ताणंतरे दिवसे, सातिरेगा चोद्दसमुहुत्ता राती। पन्नरसमुहुत्ते दिवसे, पन्नरसमुहत्ता राती। पन्नरसमुहुत्ताणंतरे दिवसे, सातिरेगा पन्नरसमुहुत्ता राती। चोइसमुहुत्ते दिवसे, सोलसमुहत्ता राती। चोहसमुहुत्ताणंतरे दिवसे, सातिरेगा सोलसमुहुत्ता राती। तेरसमुहुत्ते दिवसे, सत्तरसमुहुत्ता राती। तेरसमुहुत्ताणंतरे दिवसे, सातिरेगा सत्तरसमुहुत्ता राती।
। [११] इस प्रकार इस क्रम से दिवस का परिमाण बढ़ाना-घटाना और रात्रि का परिमाण घटानाबढ़ाना चाहिए। यथा-जब सत्रह मुहूर्त का दिवस होता है, तब तेरह मुहूर्त की रात्रि होती है। जब सत्रह मुहूर्तानन्तर का दिन होता है, तब सातिरेक तेरह मुहूर्त की रात्रि होती है। जब सोलह मुहूर्त का दिन होता है, तब चौदह मुहूर्त की रात्रि होती है। जब सोलह मुहूर्तानन्तर का दिन होता है, तब सातिरेक चौदह मुहूर्त की रात्रि होती है। जब पन्द्रह मुहूर्त का दिन होता है, तब पन्द्रह मुहूर्त की रात्रि होती है। जब पन्द्रह मुहूर्त्तानन्तर का दिन होता है, तब सातिरेक पन्द्रह मुहूर्त की रात्रि होती है। जब चौदह मुहूर्त का दिन होता, तब सोलह मुहूर्त की रात्रि होती है। जब चौदह मुहूर्तानन्तर का दिन होता है, तब सातिरेक सोलह मुहूर्त की रात्रि होती है। जब तेरह मुहूर्त का दिन होता है, तब सत्रह मुहूर्त की रात्रि होती है। जब तेरह मुहूर्तानन्तर का दिन होता है, तब सातिरेक सत्रह मुहूर्त की रात्रि होती है।
१२. जदा णं जंबु० दाहिणड्ढे जहन्नए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवति तया णं उत्तरड्ढे