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नवम उद्देशक-इन्द्रिय
... पंचेन्द्रिय-विषयों का अतिदेशात्मक निरूपण ३८८, जीवाभिगम सूत्र के अनुसार इन्द्रिय विषय-सम्बन्धी विवरण ३८८। दशम उद्देशक-परिषद् चमरेन्द्र से लेकर अच्युतेन्द्र तक की परिषद्-संबंधी प्ररूपणा ३९०, तीन परिषदें : नाम और स्वरूप ३९०।
चतुर्थ शतक प्राथमिक
३९२ चतुर्थशतक की संग्रहणी गाथा
३९३ प्रथम-द्वितीय-तृतीय-चतुर्थ उद्देशक-ईशान लोकपाल विमान
ईशानेन्द्र के चार लोकपालों के विमान और उनके स्थान का निरूपण ३९३। पंचम, षष्ठ, सप्तम, अष्टम उद्देशक-ईशान लोकपाल राजधानी
ईशानेन्द्र के लोकपालों की चार राजधानियों का वर्णन ३९५, चार राजधानियों के क्रमशः चार उद्देशककैसे और कौन से ३९५ । नवम उद्देशक-नैरयिक
नैरयिकों की उत्पत्ति प्ररूपणा ३९६,इस कथन का आशय ३९६, कहाँ तक ३९६। दशम उद्देशक-लेश्या
लेश्याओं का परिणमनादि पन्द्रह द्वारों से निरूपण ३९८, अतिदेश का सारांश ३९८, पारिणामादि द्वार का तात्पर्य ३९९।
पंचम शतक प्राथमिक
४०१ पंचम शतक की संग्रहणी गाथा
४०३ प्रथम उद्देशक-रवि
प्रथम उद्देशक का प्ररूपणा स्थान : चम्पा नगरी ४०३, चम्पा नगरी : तब और अब ४०४, जम्बूद्वीप में सूर्यों के उदय-अस्त एवं रात्रि-दिवस से सम्बन्धित प्ररूपणा ४०४, सूर्य के उदय-अस्त का व्यवहार : दर्शक लोगों की दृष्टि की अपेक्षा ४०६, सूर्य सभी दिशाओं में गतिशील होते हुए भी रात्रि क्यों? ४०६, एक ही समय में दो दिशाओं में दिवस कैसे? ४०६, दक्षिणार्द्ध और उत्तरार्द्ध का आशय ४०६, चार विदिशाएँ 3
सा आणाय ४० चार विदिशाएँ अर्थात चार कोण ४०७. जम्बूद्वीप में दिवस और रात्रि का कालमान ४०७, दिन और रात्रि की कालगणना का सिद्धान्त ४०९, सूर्य की विभिन्न मण्डलों में गति के अनुसार दिन-रात्रि का परिणाम ४१०, ऋतु से अवसर्पिणी तक विविध दिशाओं और प्रदेशों
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