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________________ ३३२] [व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र [४ उ.] मण्डितपुत्र! आधिकरणिकी क्रिया दो प्रकार की कही गई है, वह इस प्रकार-संयोजनाधिकरण-क्रिया और निर्वर्तनाधिकरण-क्रिया। ५. पादोसिया णं भंते! किरिया कतिविहा पण्णत्ता ? मंडियपुत्ता! दुविहा पण्णत्ता, तं जहा—जीवपादोसिया य अजीवपादासिया य। [५ प्र.] भगवन्! प्राद्वेषिकी क्रिया कितने प्रकार की कही गई है ? [५ उ.] मण्डितपुत्र! प्राद्वेषिकी क्रिया दो प्रकार की कही गई है, वह इस प्रकार—जीवप्राद्वेषिकी क्रिया और अजीव-प्राद्वेषिकी क्रिया। ६. पारितावणिया णं भंते! किरिया कइविहा पण्णत्ता ? मंडियपुत्ता! दुविहा पण्णत्ता, तं जहा—सहत्थपारितावणिगा य परहत्थपारितावणिगा य। [६ प्र.] भगवन् ! पारितापनिकी क्रिया कितने प्रकार की कही गई है ? [६ उ.] मंडितपुत्र! पारितापनिकी क्रिया दो प्रकार की कही गई है, वह इस प्रकार-स्वहस्तपारितापनिकी और परहस्तपारितापनिकी। ७. पाणातिवातकिरिया णं भंते!० पुच्छा। मंडियपुत्ता! दुविहा पण्णत्ता, तं जहा—सहत्थपाणातिवातकिरिया य परहत्थपाणातिवातकिरिया य। [७ प्र.] भगवन् ! प्राणातिपात-क्रिया कितने प्रकार की कही गई है ? [७ उ.] मण्डितपुत्र! प्राणातिपात-क्रिया दो प्रकार की कही गई है, वह इस प्रकार स्वहस्तप्राणातिपातक्रिया और परहस्त-प्राणातिपातक्रिया। ८. पुव्वि भंते! किरिया पच्छा वेदणा? पुट्विं वेदणा पच्छा किरिया । मंडियपुत्ता! पुट्विं किरिया, पच्छा वेदणा; णो पुव्विं वेदणा, पच्छा किरिया। [८ प्र.] भगवन् ! पहले क्रिया होती है, और पीछे वेदना होती है ? अथवा पहले वेदना होती है, पीछे क्रिया होती है ? [८ उ.] मण्डितपुत्र! पहले क्रिया होती है, बाद में वेदना होती है; परन्तु पहले वेदना हो और पीछे क्रिया हो, ऐसा नहीं होता। ९. अत्थि णं भंते! समणाणं निग्गंथाणं किरिया कज्जइ ? हंता, अत्थि। [९ प्र.] भगवन् ! क्या श्रमण-निर्ग्रन्थों के (भी) क्रिया होती (लगती) है? [९ उ.] हाँ, (मण्डितपुत्र! उनके भी क्रिया) होती (लगती) है। १०. कहं णं भंते! समणाणं निग्गंथाणं किरिया कज्जइ ?
SR No.003442
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 01 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages569
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_bhagwati
File Size12 MB
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