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________________ २५२] [व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र २०. जहा रयणप्पभाए पुढवीए वत्तव्वया भणिया एवं जाव' अहेसत्तमाए। [२०] जैसे रत्नप्रभा पृथ्वी के विषय में कहा, वैसे ही यावत् नीचे सातवीं पृथ्वी तक कहना चाहिए। २१. [ जंबुदीवाइया दीवा, लवणसमुद्दाइया समुद्दा ] एवं सोहम्मे कप्पे जावरे ईसिपब्भारा-पुढवीए। एते सव्वे वि असंखेज्जइभागं फुसति, सेसा पडिसेहेतव्वा। [२१] [तथा जम्बूद्वीप आदि द्वीप और लवणसमुद्र आदि समुद्र] सौधर्मकल्प से लेकर (यावत्) ईषत्प्राग्भारा पृथ्वी तक, ये सभी धर्मास्तिकाय के असंख्येय भाग को स्पर्श करते हैं। शेष भागों की स्पर्शना का निषेध करना चाहिए। २२. एवं अधम्मत्थिकाए।एवं लोयागासे वि।गाहा पुढवोदही घण तणू कप्पा गेवेज्जऽणुत्तरा सिद्धी । संखेज्जइभागं अंतरेसु सेसा असंखेज्जा ॥१॥ ॥ बितीय-सए दसमो उद्देसो समत्तो॥ ॥बिइयं सयं समत्तं॥ [२२] जिस तरह धर्मास्तिकाय की स्पर्शना कही, उसी तरह अधर्मास्तिकाय और लोकाकाशास्तिकाय की स्पर्शना के विषय में भी कहना चाहिए। गाथा का अर्थ इस प्रकार है पृथ्वी, घनोदधि, घनवात, तनुवात, कल्प, ग्रैवेयक, अनुत्तर, सिद्धि (ईषत्प्राग्भारा पृथ्वी) तथा सात अवकाशान्तर, इनमें से अवकाशान्तर तो धर्मास्तिकाय के संख्येय भाग का स्पर्श करते हैं और शेष सब धर्मास्तिकाय के असंख्येय भाग का स्पर्श करते हैं। _ विवेचन धर्मास्तिकायादि की स्पर्शना प्रस्तुत नौ सूत्रों (१४ से २२ तक) में तीनों लोक, रत्नप्रभादि सात पृथ्वियाँ, उन सातों के घनोदधि, घनवात, तनुवात, अवकाशान्तर, सौधर्मकल्प से ईषत्प्राग्भारा पृथ्वी तक धर्मास्तिकायादि के संख्येय, या असंख्येय तथा समग्र आदि भाग के स्पर्श का विचार किया गया है। तीनों लोकों द्वारा धर्मास्तिकाय का स्पर्श कितना और क्यों ? –धर्मास्तिकाय चतुर्दश 'जाव' पद से शर्कराप्रभा आदि सातों नरकपृथ्वियों के नाम समझ लेने चाहिए। वृत्तिकार द्वारा ५२ सूत्रों की सूचना के अनुसार यहाँ'जंबुद्दीवाइया....समुद्दा' यह पाठ संगत नहीं लगता, इसलिए ब्राकेट में दिया गया है। 'जाव' पद से 'ईशान' से लेकर 'ईषत्प्राग्भारा पृथ्वी' तक समझ लेना चाहिए।
SR No.003442
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 01 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages569
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_bhagwati
File Size12 MB
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