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________________ [ २२८ [२६-२ उ.] गौतम ! श्रवण का फल ज्ञान है (अर्थात् — शास्त्र - श्रवण से ज्ञानलाभ होता है) । [ ३ ] से णं भंते! नाणे किंफले ? विण्णाणफले । [२६-३ प्र.] भगवन् ! उस ज्ञान का क्या फल है ? [२६-३ उ.] गौतम! ज्ञान का फल विज्ञान है (अर्थात् — ज्ञान से हेय और उपादेय तत्त्व विवेक की प्राप्ति होती है ।) [ ४ ] से णं भंते! विण्णाणे किंफले ? पच्चक्खाणफले । [२६-४ प्र.] भगवन् ! उस विज्ञान का क्या फल होता है ? [२६-४ उ.] गौतम ! विज्ञान का फल प्रत्याख्यान (हेय पदार्थों का त्याग ) है । [५] से णं भंते! पच्चक्खाणे किंफले ? संजमफले । [२६ - ५ प्र.] भगवन् ! प्रत्याख्यान का क्या फल होता है ? [२६-५ उ.] गौतम! प्रत्याख्यान का फल संयम (सर्वसावद्य त्यागरूप संयम अथवा पृथ्वीकायादि १७ प्रकार का संयम ) है । [ ६ ] से णं भंते! संजमे किंफले ? अणण्यफले । [२६-६ प्र.] भगवन् ! संयम का क्या फल होता है ? [२६-६ उ.] गौतम ! संयम का फल अनाश्रवत्व (संवर नवीन कर्मों का निरोध) है। [ ७ ] एवं अणण्हये तवफले । तवे वोदाणफले। वोदाणे अकिरियाफले । [२६-७] इसी तरह अनाश्रवत्व का फल तप है, तप का फल व्यवदान ( कर्मनाश) है और व्यवदान का फल अक्रिया है । [८] से णं भंते! अकिरिया किंफला ? सिद्धिपज्जवसाणफला पण्णत्ता गोयमा ! गाहा— सवणे णाणे य विण्णाणे पच्चक्खाणे य संजमे । अणण्हये तवे चेव वोदाणे अकिरिया सिद्धी ॥ १ ॥ [ २६-८ प्र.] भगवन् ! उस अक्रिया का क्या फल है ? [२६-८ उ.] गौतम! अक्रिया का अन्तिम फल सिद्धि है । (अर्थात् अक्रियता ——— अयोगी
SR No.003442
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 01 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages569
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_bhagwati
File Size12 MB
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