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________________ ७२४ स्थानाङ्गसूत्रम् संग्रहणी-गाथा मतंगया य भिंगा, तुडितंगा दीव जोति चित्तंगा । चित्तरसा मणियंगा, गेहागारा अणियणा य ॥ १॥ सुषम-सुषमा काल में दश प्रकार के वृक्ष उपभोग के लिए सुलभता से प्राप्त होते हैं, जैसे१. मदांग- मादक रस-देने वाले। २. ग— भाजन-पात्र आदि देने वाले। ३. त्रुटितांग— वादित्रध्वनि उत्पन्न करने वाले वृक्ष। ४. दीपांग- प्रकाश करने वाले वृक्ष। ५. ज्योतिरंग— उष्णता उत्पन्न करने वाले वृक्ष। ६. चित्रांग— अनेक प्रकार की माला-पुष्प उत्पन्न करने वाले वृक्ष। ७. चित्ररस- अनेक प्रकार के मनोज्ञ रस वाले वृक्ष। ८. मणि-अंग- आभरण प्रदान करने वाले वृक्ष । ९. गेहाकार- घर के आकार वाले वृक्ष । १०. अनग्न— नग्नता को ढाकने वाले वृक्ष (१४२)। कुलकर-सूत्र १४३- जंबुद्दीवे दीवे भरहे वासे तीताए उस्सप्पिणीए दस कुलगरा हुत्था,.तं जहासंग्रहणी गाथा सयंजले सयाऊ य, अणंतसेणे य अजितसेणे य । कक्कसेणे भीमसेणे महाभीमसेणे य सत्तमे ॥१॥ दढरहे दसरहे, सयरहे । जम्बूद्वीप नामक द्वीप में, भारतवर्ष में, अतीत उत्सर्पिणी में दश कुलकर उत्पन्न हुए थे, जैसे१. स्वयंजल, २. शतायु, ३. अनन्तसेन, ४. अजितसेन, ५. कर्कसेन, ६. भीमसेन, ७. महाभीमसेन, ८. दृढरथ, ९. दशरथ, १०. शतरथ (१४३)। १४४- जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे आगमीसाए उस्सप्पिणीए दस कुलगरा भविस्संति, तं जहा—सीमंकरे, सीमंधरे, खेमंकरे, खेमंधरे, विमलवाहणे, संमती, पडिसुते, दढधणू, दसधणू, सतधणू। जम्बूद्वीप नामक द्वीप में, भारतवर्ष में, आगामी उत्सर्पिणी में दश कुलकर होंगे, जैसे१. सीमंकर, २. सीमन्धर, ३. क्षेमङ्कर, ४. क्षेमन्धर, ५. विमलवाहन, ६. सन्मति, ७. प्रतिश्रुत, ८. दृढधनु, ९. दशधनु, १०. शतधनु (१४४)। वक्षस्कार-सूत्र १४५- जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिमे णं सीताए महाणईए उभओकूले दस
SR No.003440
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthananga Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shreechand Surana
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1981
Total Pages827
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Dictionary, & agam_sthanang
File Size16 MB
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