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________________ दशम स्थान ६८९ ३८- सव्वेवि णं वट्टवेयड्वपव्वता दस जोयणसयाइं उर्दू उच्चत्तेणं, दस गाउयसयाई उव्वेहेणं, सव्वत्थ समा पल्लागसंठिता, दस जोयणसयाई विक्खंभेणं पण्णत्ता। सभी वृतवैताढ्य पर्वत एक हजार योजन ऊंचे, एक हजार गव्यूति (कोश) गहरे, सर्वत्र समान विस्तार वाले, पल्य के आकर से संस्थित और दश सौ (एक हजार) योजन विस्तृत कहे गये हैं (३८)। क्षेत्र-सूत्र ३९- जंबुद्दीवे दीवे दस खेत्ता पण्णत्ता, तं जहा—भरहे, एरवते, हमेवते, हेरण्णवते, हरिवस्से, रम्मगवस्से, पुव्वविदेहे, अवरविदेहे, देवकुरा, उत्तरकुरा।, जम्बूद्वीप नामक द्वीप में दश क्षेत्र कहे गये हैं, जैसे१. भरत क्षेत्र, २. ऐरवत क्षेत्र, ३. हैमवत क्षेत्र, ४. हैरण्यवत क्षेत्र, ५. हरिवर्ष क्षेत्र, ६. रम्यकवर्ष क्षेत्र, ७. पूर्वविदेह क्षेत्र, ८. अपरविदेह क्षेत्र, ९. देवकुरु क्षेत्र, १०. उत्तरकुरु क्षेत्र (३९)। पर्वत-सूत्र ४०- माणुसुत्तरे णं पव्वते मूले दस बावीसे जोयणसते विक्खंभेणं पण्णत्ते। मानुषोत्तर पर्वत मूल में दश सौ बाईस (१०२२) योजन विस्तार वाला कहा गया है (४०)। ४१- सव्वेवि णं अंजण-पव्वता दस जोयणसयाई उव्वेहेणं, मूले दस जोयणसहस्साई विक्खंभेणं उवरि दस जोयणसताई विक्खंभेणं पण्णत्ता। सभी अंजन पर्वत दश सौ (१०००) योजन गहरे, मूल में दश हजार योजन विस्तृत और ऊपर दश सौ (१०००) योजन विस्तार वाले कहे गये हैं (४१)। ४२- सव्वेवि णं दहिमुहपव्वता दस जोयणसताइं उव्वेहेणं, सव्वत्थ समा पल्लगसंठिता, दस जोयणसंहस्साई विक्खंभेण पण्णत्ता। सभी दधिमुखपर्वत भूमि में दश सौ योजन गहरे, सर्वत्र समान विस्तारवाले, पल्य के आकार से संस्थित और दश हजार योजन चौड़े कहे गये हैं (४२)। ४३- सव्वेवि णं रतिकरपव्वता दस जोयणसताइं उठें उच्चत्तेणं, दसगाउयसताइं उव्वेहेणं, सव्वत्थ समा झल्लरिसंठिता, दस जोयणसताई विक्खंभेणं पण्णत्ता। ___सभी रतिकर पर्वत दश सौ (१०००) योजन ऊँचे, दश सौ गव्यूति गहरे, सर्वत्र समान, झल्लरी के आकार के और दश हजार योजन विस्तार वाले कहे गये हैं (४३)। ४४ – रुयगवरे णं पव्वत्ते दस जोयणसताई उव्वेहेणं, मूले दस जोयणसहस्साई विक्खंभेणं उवरि दस जोयणसताई विक्खंभेणं पण्णत्ते। रुचकवर पर्वत दश सौ (१०००) योजन गहरे, मूल में दश हजार योजन विस्तृत और ऊपर दश सौ (१०००) योजन विस्तार वाले कहे गये हैं (४४)।
SR No.003440
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthananga Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shreechand Surana
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1981
Total Pages827
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Dictionary, & agam_sthanang
File Size16 MB
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