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दशम स्थान
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९. स्पर्शनेन्द्रिय-सम्बन्धी सुख का वियोग नहीं करने से।
१०. स्पर्शनेन्द्रिय-सम्बन्धी दुःख का संयोग नहीं करने से (२२)। - २३– पंचिंदिया णं जीवा समारभमाणस्स दसविधे असंजमे कज्जति, तं जहा सोतामयाओ सोक्खाओ ववरोवेत्ता भवति। सोतामएणं दुक्खेणं संजोगेत्ता भवति। चक्खुमयाओ सोक्खाओ ववरोवेत्ता भवति। चक्खुमएणं दुक्खेणं संजोगेत्ता भवति। घाणामयाओ सोक्खाओ ववरोवेत्ता भवति। घाणामएणं दुक्खेणं संजोगेत्ता भवति। जिब्भामयाओ सोक्खाओ ववरोवेत्ता भवति। जिब्भामएणं दुक्खेणं संजोगेत्ता भवति। फासामयाओ सोक्खाओ ववरोवेत्ता भवति। फासामएणं दुक्खेणं संजोगेत्ता भवति।
पंचेन्द्रिय जीवों का घात करने वाले के दश प्रकार का असंयम होता है, जैसे१. श्रोत्रेन्द्रिय-सम्बन्धी सुख का वियोग करने से। २. श्रोत्रेन्द्रिय-सम्बन्धी दुःख का संयोग करने से। ३. चक्षुरिन्द्रिय-सम्बन्धी सुख का वियोग करने से। . ४. चक्षुरिन्द्रिय-सम्बन्धी दुःख का संयोग करने से। ५. घ्राणेन्द्रिय-सम्बन्धी सुख का वियोग करने से। ६. घ्राणेन्द्रिय-सम्बन्धी दुःख का संयोग करने से। ७. रसनेन्द्रिय-सम्बन्धी सुख का वियोग करने से। ८. रसनेन्द्रिय-सम्बन्धी दुःख का संयोग करने से। ९. स्पर्शनेन्द्रिय-सम्बन्धी सुख का वियोग करने से।
१०. स्पर्शनेन्द्रिय-सम्बन्धी दुःख का संयोग करने से (२३)। सूक्ष्मजीव सूत्र
२४- दस सुहुमा पण्णत्ता, तं जहा—पाणसुहुमे, पणगसुहुमे, (बीयसुहुमे, हरितसुहुमे, पुष्फसुहुमे, अंडसुहुमे, लेणसुहुमे), सिणेहसुहुमे, गणियसुहुमे, भंगसुहुमे।
सूक्ष्म दश प्रकार के कहे गये हैं, जैसे१. प्राण-सूक्ष्म- सूक्ष्मजीव, २. पनक-सूक्ष्म— काई आदि, ३. बीज-सूक्ष्म- धान्य आदि का अग्रभाग, ४. हरितसूक्ष्म- सूक्ष्मतृण आदि, ५. पुष्प-सूक्ष्म— वट आदि के पुष्प, ६. अण्डसूक्ष्म- चींटी आदि के अण्डे, ७. लयनसूक्ष्म- कीड़ीनगरा,
८. स्नेहसूक्ष्म- ओस आदि, ९. गणितसूक्ष्म - सूक्ष्म बुद्धिगम्य गणित, १०. भंगसूक्ष्म- सूक्ष्म बुद्धिगम्य विकल्प (२४)। महानदी-सूत्र
२५- जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणेणं गंगा-सिंधु-महाणदीओ दस महाणदीओ समप्पेंति, तं जहा—जउणा, सरऊ, आवी, कोसी, मही, सतद्, वितत्था, विभासा, एरावती,