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दशम स्थान
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साइं सुणिंसु । देसेणवि एगे रूवाइं पासिंसु । सव्वेणवि एगे रूवाई. पासिंसु । (देसेणवि एगे गंधाई जिंघिसु | सव्वेणवि एगे गंधाइं जिंघिंसु । देसेणवि एगे रसाई आसादेंसु । सव्वेणवि एगे रसाइं आसादेंसु । देसेणवि एगे फासाई पडिसंवेदेंसु ) । सव्वेणवि एगे फासाइं पडिसंवेदेंसु ।
इन्द्रियों के अतीतकालीन विषय दश कहे गये हैं, जैसे—
१. अनेक जीवों ने शरीर के एक देश से भी शब्द सुने थे। शरीर के सर्वदेश से भी शब्द सुने थे।
२.
अनेक जीवों ने ३. अनेक जीवों ने भी रूप देखे थे । ४. अनेक जीवों ने शरीर के सर्वदेश से भी रूप देखे थे ।
शरीर के एक देश से
५.
अनेक जीवों ने शरीर के
६. अनेक जीवों ने शरीर के
"
७.
अनेक जीवों ने शरीर के ८. अनेक जीवों ने शरीर के
एक देश से सर्व देश से
एक देश से
सर्व देश से
भी गन्ध सूंघे थे।
भी गन्ध सूंघे थे ।
भी रस चखे थे।
भी रस चखे थे।
९. अनेक जीवों ने शरीर के एक देश से
भी स्पर्शों का वेदन किया था ।
१०. अनेक जीवों ने शरीर के सर्व देश से भी स्पर्शों का वेदन किया था (३) ।
विवेचन — टीकाकार ने 'देशत:' और 'सर्वतः' के अनेक अर्थ किए हैं। यथा— बहुत-से शब्दों के समूह में किसी को सुनना और किसी को न सुनना देशत: सुनना है। सबको सुनना सर्वतः सुनना है। अथवा देशत: सुनने का अर्थ इन्द्रियों के एक देश से अर्थात् श्रोत्र से सुनना है। संभिन्न श्रोतोलब्धि वाला सभी इन्द्रियों से शब्द सुनता है। अथवा एक कान से सुनना देशतः और दोनों कानों से सुनना सर्वतः सुनना कहलाता है।
४— दस इंदियत्था पडुप्पण्णा पण्णत्तां, तं जहा — देसेणवि एगे सद्दाई सुर्णेति । सव्वेणवि एगे सद्दाई सुर्णेति । (देसेणवि एगे रूवाइं पासंति । सव्वेणवि एगे रूवाई पासंति । देसेणवि एगे गंधाई जिघंति । सव्वेणवि एगे गंधाई जिंघंति । देसेणवि एगे रसाई आसादेंति । सव्वेणवि एगे रसाई आसादेंति । देसेणवि एगे फासाइं पडिसंवेदेंति । सव्वेणवि एगे फासाइं पडिसंवेदेंति ) ।
इन्द्रियों के वर्तमानकालीन विषय दश कहे गये हैं, जैसे—
१. अनेक जीव शरीर के एक देश से भी शब्द सुनते हैं।
२.
अनेक जीव शरीर के सर्वदेश से भी शब्द सुनते हैं। ३. अनेक जीव शरीर के एक देश से भी रूप देखते हैं।
४.
अनेक जीव शरीर के सर्वदेश से भी रूप देखते हैं।
५.
६.
अनेक जीव शरीर के एक देश से भी गन्ध सूंघते हैं। अनेक जीव शरीर के सर्व देश से भी गन्ध सूंघते हैं । ७. अनेक जीव शरीर के एक देश से भी रस चखते हैं। ८. अनेक जीव शरीर के सर्व देश से भी रस चखते हैं।