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________________ अष्टम स्थान ६३९ सुहमसंपरायसरागसंजमे, पढमसमयबादरसंपरायसरागसंजमे, अपढमसमयबादरसंपरायसरागसंजमे, पढमसमयउवसंतकसाय-वीतरागसंजमे, अपढमसमयउवसंतकसायवीतरागसंजमे, पढमसमयखीणकसायवीतरागसंजमे, अपढमसमयखीणकसायवीतरागसंजमे। संयम आठ प्रकार का कहा गया है, जैसे१. प्रथम समय सूक्ष्मसाम्परायसराग संयम, २. अप्रथम समय सूक्ष्मसाम्परायसराग संयम, ३. प्रथम समय बादरसाम्परायसराग संयम, ४. अप्रथम समय बादरसाम्परायसराग संयम, ५. प्रथम समय उपशान्तकषायवीतराग संयम, ६. अप्रथम समय उपशान्तकषायवीतराग संयम, ७. प्रथम समय क्षीणकषायवीतराग संयम, ८. अप्रथम समय क्षीणकषायवीतराग संयम (१०७)। पृथिवी-सूत्र .१०८- अट्ठ पुढवीओ पण्णत्ताओ, तं जहारयणप्पभा, (सक्करप्पभा, वालुअप्पभा, पंकप्पभा, धूमप्पभा, तमा), अहेसत्तमा, ईसिपब्भारा। पृथिवियां आठ कही गई हैं, जैसे१. रत्नप्रभा, २. शर्कराप्रभा, ३. वालुकाप्रभा, ४. पंकप्रभा, ५. धूमप्रभा, ६. तमःप्रभा, ७. अधःसप्तमी (तमस्तमः प्रभा), ८. ईषत्प्राग्भारा (१०८)। १०९- ईसिपब्भाराए णं पुढवीए बहुमझदेसभागे अट्ठजोयणिए खेत्ते अट्ठ जोयणाई बाहल्लेणं पण्णत्ते। ईषत्प्राग्भारा पृथिवी के बहुमध्य देशभाग में आठ योजन लम्बे-चौड़े क्षेत्र का बाहल्य (मोटाई) आठ योजन है (१०९)। ११०-ईसिपब्भाराए णं पुढवीए अट्ठ णामधेज्जा पण्णत्ता, तं जहा ईसिति वा, ईसिपब्भाराति वा, तणूति वा, तणुतणूडू वा, सिद्धीति वा, सिद्धालएति वा, मुत्तीति वा, मुत्तालएति वा। ईषत्प्राग्भारा पृथ्वी के आठ नाम हैं, जैसे १. ईषत्, २. ईषत्प्रग्भारा, ३. तनु, ४. तनुतनु, ५. सिद्धि, ६. सिद्धालय, ७. मुक्ति, ८. मुक्तालय (११०)। अभ्युत्थातव्य-सूत्र १११- अट्ठहिं ठाणेहिं सम्मं घडितव्वं जतितव्वं परक्कमितव्वं अस्सि च णं अटे णो पमाएतव्वं भवति १. असुयाणं धम्माणं सम्मं सुणणताए अब्भुटेतव्वं भवति।
SR No.003440
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthananga Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shreechand Surana
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1981
Total Pages827
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Dictionary, & agam_sthanang
File Size16 MB
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