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________________ ५८८ स्थानाङ्गसूत्रम् देवेन्द्र देवराज ईशान के आभ्यन्तर परिषद् के देवों की स्थिति सात पल्योपम कही गई है (९७)।। ९८— सक्कस्स णं देविंदस्स देवरण्णो अग्गमहिसीणं देवीणं सत्त पलिओवमाइं ठिती पण्णत्ता। देवेन्द्र देवराज शक्र की अग्रमहिषी देवियों की स्थिति सात पल्योपम कही गई है (९८)। ९९- सोहम्मे कप्पे परिग्गहियाणं देवीणं उक्कोसेणं सत्त पलिओवमाइं ठिती पण्णत्ता। सौधर्म कल्प में परिगृहीता देवियों की उत्कृष्ट स्थिति सात पल्योपम कही गई है (९९)। १००- सारस्सयमाइच्चाणं [ देवाणं ?] सत्त देवा सत्तदेवसता पण्णत्ता। सारस्वत और आदित्य लोकान्तिक देव स्वामीरूप में सात हैं और उनके सात सौ देवों का परिवार कहा गया है (१००)। १०१- गद्दतोयतुसियाणं देवाणं सत्त देवा सत्त देवसहस्सा पण्णत्ता। गर्दतोय और तुषित लोकान्तिक देव स्वामीरूप में सात हैं और उनके सात हजार देवों का परिवार कहा गया है (१०१)। १०२- सणंकुमारे कप्पे उक्कोसेणं देवाणं सत्त सागरोवमाइं ठिती पण्णत्ता। सनत्कुमार कल्प में देवों की उत्कृष्ट स्थिति सात सागरोपम कही गई है (१०२)। . १०३- माहिंदे कप्पे उक्कोसेणं देवाणं सातिरेगाइं सत्तं सागरोवमाइं ठिती पण्णत्ता। माहेन्द्र कल्प में देवों की उत्कृष्ट स्थिति कुछ अधिक सात सागरोपम कही गई है (१०३)। १०४-बंभलोगे कप्पे जहण्णेणं देवाणं सत्त सागरोवमाई ठिती पण्णत्ता। ब्रह्मलोक कल्प में देवों की जघन्य स्थिति सात सागरोपम कही गई है (१०४)। १०५- बंभलोय-लंतएसु णं कप्पेसु विमाणा सत्त जोयणसताइं उड्ढे उच्चत्तेणं पण्णत्ता। ब्रह्मलोक और लान्तक कल्प में विमानों की ऊंचाई सात सौ योजन कही गई है (१०५)। १०६- भवणवासीणं देवाणं भवधारणिज्जा सरीरगा उक्कोसेणं सत्त रयणीओं उद्धं उच्चत्तेणं पण्णत्ता। भवनवासी देवों के भवधारणीय शरीरों की उत्कृष्ट ऊंचाई सात हाथ कही गई है (१०६)। १०७ – वाणमंतराणं देवाणं भवधारणिजा सरीरगा उक्कोसेणं सत्त रयणीओ उठें उच्चत्तेणं पण्णत्ता। वाण-व्यन्तर देवों के भवधारणीय शरीरों की उत्कृष्ट ऊंचाई सात हाथ कही गई है (१०७)। १०८— जोइसियाणं देवाणं भवधारणिज्जा सरीरगा उक्कोसेणं सत्त रयणीओ उढे उच्चत्तेणं पण्णत्ता। ज्योतिष्क देवों के भवधारणीय शरीरों की उत्कृष्ट ऊंचाई सात रनि हाथ कही गई है (१०८)।
SR No.003440
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthananga Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shreechand Surana
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1981
Total Pages827
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Dictionary, & agam_sthanang
File Size16 MB
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