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________________ सप्तम स्थान ५८९ १०९- सोहम्मीसाणेसु णं कप्पेसु देवाणं भवधारणिजा सरीरगा उक्कोसेणं सत्त रयणीओ उर्दू उच्चत्तेणं पण्णत्ता। सौधर्म और ईशान कल्प के देवों के भवधारणीय शरीरों की उत्कृष्ट ऊंचाई सात रनि कही गई है (१०९)। नन्दीश्वरवर द्वीप-सूत्र ११०–णंदिस्सरवरस्स णं दीवस्स अंतो सत्त दीवा पण्णत्ता, तं जहा—जंबुद्दीवे, धायइसंडे, पोक्खरवरे, वरुणवरे, खीरवरे, घयवरे, खोयवरे। नन्दीश्वरवर द्वीप के अन्तराल में सात द्वीप कहे गये हैं, जैसे१. जम्बूद्वीप, २. धातकीषण्ड, ३. पुष्करवर, ४. वरुणवर, ५. क्षीरवर, ६. घृतवर और ७. क्षोदवर द्वीप (११०)। १११– गंदीसरवरस्स णं दीवस्स अंतो सत्त समुद्दा पण्णत्ता, तं जहा—लवणे, कालोदे, पुक्खरोदे, वरुणोदे, खीरोदे, घओदे, खोओदे। नन्दीश्वरवर द्वीप के अन्तराल में सात समुद्र कहे गये हैं, जैसे. १. लवणसमुद्र, २. कालोद, ३. पुष्करोद, ४. वरुणोद, ५. क्षीरोद, ६. घृतोद और क्षोदोदसमुद्र (१११)। श्रेणि-सूत्र ११२-- सत्तं सेढीओ पण्णत्ताओ, तं जहा-उज्जुआयता, एगतोवंका, दुहतोवंका, एगतोखहा, दुहतोखहा, चक्कवाला, अद्धचक्कवाला। श्रेणियां (आकाश की प्रदेश-पंक्तियां) सात कही गई हैं, जैसे१. ऋजु-आयता- सीधी और लम्बी श्रेणी। २. एकतो वक्रा— एक दिशा में वक्र श्रेणी। ३. द्वितो वक्रा—दो दिशाओं में वक्र श्रेणी। ४. एकतः खहा— एक दिशा में अंकुश के समान मुड़ी श्रेणी। जिसके एक ओर त्रसनाड़ी का आकाश है। ५. द्वितः खहा— दोनों दिशाओं में अंकुश के समान मुड़ी हुई श्रेणी। जिसके दोनों ओर त्रसनाड़ी के बाहर ___ का आकाश है। ६. चक्रवाला— चाक के समान वलयाकर श्रेणी। . ७. अर्धचक्रवाला— आधे चाक के समान अर्धवलयाकार श्रेणी (११२)। विवेचन- आकाश के प्रदेशों की पंक्ति को श्रेणी कहते हैं। जीव और पुद्गल अपने स्वाभाविक रूप से श्रेणी के अनुसार गमन करते हैं। किन्तु पर से प्रेरित होकर वे विश्रेणी-गमन भी करते हैं। प्रस्तुत सूत्र में सात प्रकार की श्रेणियों का निर्देश किया गया है। उनका खुलासा इस प्रकार है १. ऋजु-आयता श्रेणी– जब जीव और पुद्गल ऊर्ध्वलोक से अधोलोक में या अधोलोक से ऊर्ध्वलोक में सीधी श्रेणी में गमन करते हैं, कोई मोड़ नहीं लेते हैं, तब उसे ऋजु-आयता श्रेणी कहते हैं। इसका आकार (|) ऐसी
SR No.003440
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthananga Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shreechand Surana
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1981
Total Pages827
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Dictionary, & agam_sthanang
File Size16 MB
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