SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 653
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ५८६ आरंभ-सूत्र ८४ – सत्तविहे आरंभे पण्णत्ते, तं जहा —— पुढविकाइयआरंभे, (आउकाइयआरंभे, तेउकाइयआरंभे, वाउकाइयआरंभे, वणस्सइकाइयआरंभे, तसकाइयआरंभे), अजीवकाइयआरंभे । स्थानाङ्गसूत्रम् आरम्भ सात प्रकार का कहा गया है, जैसे— १. पृथ्वीकायिक- आरम्भ, २. अप्कायिक- आरम्भ, ३. तेजस्कायिक- आरम्भ, ४. वायुकायिक- आरम्भ, ५. वनस्पतिकायिक-आरम्भ, ६. सकायिक- आरम्भ, ७. अजीवकायिक- आरम्भ (८४) । ८५— सत्तविहे अणारं पण्णत्ते, तं जहा—पुढविकाइयअणारंभे । अनारम्भ सात प्रकार का कहा गया है, जैसे— पृथ्वीकायिक- अनारम्भ आदि । १. पृथ्वीकायिक- अनारम्भ, २. अप्कायिक- अनारम्भ, ३. तेजस्कायिक- अनारम्भ, ४. वायुकायिक- अनारम्भ, ५. वनस्पतिकायिक- अनारम्भ, ६. सकायिक- अनारम्भ, ७. अजीवकायिक- अनारम्भ (८५) । ८६- सत्तविहे सारं पण्णत्ते, तं जहा पुढविकाइयसारंभे । संरम्भ सात प्रकार का कहा गया है, जैसे— १. पृथ्वीकायिक- संरम्भ, २. अप्कायिक- संरम्भ, ३. तेजस्कायिक- संरम्भ, ४. वायुकायिक-संरम्भ, ५. वनस्पतिकायिक-संरम्भ, ६. त्रसकायिक-संरम्भ, ७. अजीवकायिक- संरम्भ (८६) । - सत्तविहे असारंभे पण्णत्ते, तं जहा —— पुढविकाइयअसारंभे । ८७ असंरम्भ सात प्रकार का कहा गया है, जैसे— १. पृथ्वीकायिक-असंरम्भ, २. अप्कायिक- असंरम्भ, ३. तेजस्कायिक-असंरम्भ, ४. वायुकायिक-असंरम्भ, ५. वनस्पतिकायिक-असंरम्भ, ६. सकायिक-असंरम्भ, ७. अजीवकायिक-असंरम्भ (८७) । ८८ - सत्तविहे समारंभे पण्णत्ते, तं जहा——–पुढविकाइयसमारंभे । समारम्भ सात प्रकार का कहा गया है, जैसे— १. पृथ्वीकायिक- समारम्भ, २. अप्कायिक- समारम्भ, ३. तेजस्कायिक- समारम्भ, ४. वायुकायिक- समारम्भ, ५. वनस्पतिकायिक- समारम्भ, ६ . त्रसकायिक- समारम्भ, ७. अजीवकायिक-समारम्भ (८८) । ८९ – सत्तविहे असमारंभे पण्णत्ते, तं जहा ——— पुढविकाइयअसमारंभे । असमारम्भ सात प्रकार का कहा गया है, जैसे— १. पृथ्वीकायिक- असमारम्भ, २. अप्कायिक- असमारम्भ, ३. तेजस्कायिक- असमारम्भ, ४. वायुकायिक-असमारम्भ, ५. वनस्पतिकायिक- असमारम्भ, ६ . त्रसकायिक- असमारम्भ, ७. अजीवकायिक- असमारम्भ (८९) । योनिस्थिति-सूत्र ९०—– अध भंते ! अदसि - कुसुम्भ-कोद्दव- कंगु-रालग-वरट्ट - कोद्रूसग-सण- सरिसव-मूलग
SR No.003440
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthananga Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shreechand Surana
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1981
Total Pages827
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Dictionary, & agam_sthanang
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy