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इस प्रकार सातों सप्ताहों के ४९ दिनों की भिक्षादत्तियां १९६ होती हैं। इसलिए सूत्र में कहा गया है कि यह सप्तसप्तामिका भिक्षुप्रतिमा ४९ दिन और १९६ भिक्षादत्तियों के द्वारा यथाविधि आराधित की जाती है । अधोलोकस्थिति- सूत्र
१४- अहेलोगे णं सत्त पुढवीओ पण्णत्ताओ । अधोलोक में सात पृथिवियां कही गई हैं (१४)। १५ – सत्त घणोदधीओ पण्णत्ताओ ।
अधोलोक में सात घनोदधि वात कहे गये हैं (१५) ।
सप्तम स्थान
१६- सत्त घणवाता पण्णत्ता ।
अधोलोक में सात घनवात कहे गये हैं (१६) ।
१७- सत्त तणुवाता पण्णत्ता ।
अधोलोक में सात तनुवात कहे गये हैं (१७) ।
१८- सत्त ओवासंतरा पण्णत्ता ।
अधोलोक में सात अवकाशान्तर (तनुवात, घनवात आदि के मध्यवर्ती अन्तराल क्षेत्र) कहे गये हैं (१८) ।
१९- - एतेसु णं सत्तसु ओवासंतरेसु सत्त तणुवाया पट्टिया ।
इन सातों अवकाशान्तरों में सात तनुवात प्रतिष्ठित हैं (१९) ।
२० - एतेसु णं सत्तसु तणुवातेसु सत्त घणवाता पट्ठिया ।
इन सातों तनुवातों पर सात घनवात प्रतिष्ठित हैं (२०) ।
२१ – एतेसु णं सत्तसु घणवातेसु सत्त घणोदधी पतिट्ठिया ।
इन सातों घनवातों पर सात घनोदधि प्रतिष्ठित हैं (२१) ।
२२- एतेसु णं सत्तसु घणोदधीसु पिंडलग-पिहुल- संठाण - संठियाओ सत्त पुढवीओ पण्णत्ताओ, तं जहा पढमा जाव सत्तमा ।
इन सातों घनोदधियों पर फूल की टोकरी के समान चौड़े संस्थान वाली सात पृथिवियां कही गई हैं, जैसेप्रथमा यावत् सप्तमी (२२) ।
२३ - एतासि णं सत्तण्हं पुढवीणं सत्त णामधेज्जा पण्णत्ता, तं जहा धम्मा, वंसा, सेला, अंजणा, रिट्ठा, मघा, मघवती ।
इन सातों पृथिवियों के सात नाम कहे गये हैं, जैसे—
१. धर्मा, २. वंशा, ३. शैला, ४. अंजना, ५. रिष्टा, ६. मघा, ७. माघवती (२३) ।