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________________ ५६२ स्थानाङ्गसूत्रम् सात सप्तैकक कहे गये हैं (११)। विवेचन- आचारचूला की दूसरी चूलिका के उद्देशक-रहित अध्ययन सात हैं। संस्कृतटीका के अनुसार उनके नाम इस प्रकार हैं १. स्थान सप्तैकक, २. नैषेधिकी सप्तैकक, ३. उच्चार-प्रस्रवणविधि-सप्तैकक, ४. शब्द सप्तैकक, ५. रूप सप्तैकक, ६. परक्रिया सप्तैकक, ७. अन्योन्य-क्रिया सप्तैकक। यतः अध्ययन सात हैं और उद्देशकों से रहित हैं, अतः 'सप्तैकक' नाम से वे व्यवहृत किये जाते हैं। इनका विशेष विवरण आचारचूला से जानना चाहिए। १२- सत्त महज्झयणा पण्णत्ता। सात महान् अध्ययन कहे गये हैं (१२)। विवेचन– सूत्रकृताङ्ग के दूसरे श्रुतस्कन्ध के अध्ययन पहले श्रुतस्कन्ध के अध्ययनों की अपेक्षा बड़े हैं, अतः उन्हें महान् अध्ययन कहा गया है। संस्कृतटीका के अनुसार उनके नाम इस प्रकार हैं १. पुण्डरीक-अध्ययन, २१. क्रियास्थान-अध्ययन, ३. आहार-परिज्ञा-अध्ययन, ४. प्रत्याख्यानक्रियाअध्ययन, ५. अनाचार-श्रुत-अध्ययन, ६. आर्द्रककुमारीय-अध्ययन, ७. नालन्दीय-अध्ययन। इनका विशेष विवरण सूत्रकृताङ्ग सूत्र से जानना चाहिए। प्रतिमा-सूत्र १३- सत्तसत्तमिया णं भिक्खुपडिमाएकूणपण्णताए राइंदियहिं एगेण य छण्णउएणं भिक्खासतेणं अहासुत्तं (अहाअत्थं अहातच्चं अहामग्गं अहाकप्पं सम्मं कारणं फासिया पालिया सोहिया तीरिया किट्टिया) आराहिया यावि भवति। सप्तसप्तमिका (७ x ७ =) भिक्षुप्रतिमा ४९ दिन-रात तथा १९६ भिक्षादत्तियों के द्वारा यथासूत्र, यथा-अर्थ, यथा-तत्त्व, यथा-मार्ग, यथा-कल्प तथा सम्यक् प्रकार काय से आचीर्ण, पालित, शोधित, पूरित, कीर्तित और आराधित की जाती है (१३)। विवेचन–साधुजन विशेष प्रकार का अभिग्रह या प्रतिज्ञारूप जो नियम अंगीकार करते हैं, उसे भिक्षुप्रतिमा कहते हैं। भिक्षुप्रतिमाएं १२ कही गई हैं, उनमें से सप्तसप्तमिका प्रतिमा सात सप्ताहों में क्रमशः एक-एक भक्त-पान की दत्ति द्वारा सम्पन्न की जाती है, उसका क्रम इस प्रकार है प्रथम सप्तक या सप्ताह में प्रतिदिन १-१ भक्त-पान दत्ति का योग ७ भिक्षादत्तियाँ। द्वितीय सप्तक में प्रतिदिन २-२ भक्त-पान दत्तियों का योग १४ भिक्षादत्तियां। तृतीय सप्तक में प्रतिदिन ३-३ भक्त-पान दत्तियों का योग २१ भिक्षादत्तियां। चतुर्थ सप्तक में प्रतिदिन ४-४ भक्त-पान दत्तियों का योग २८ भिक्षादत्तियां। पंचम सप्तक में प्रतिदिन ५-५ भक्त-पान दत्तियों का योग ३५ भिक्षादत्तियां। षष्ठ सप्तक में प्रतिदिन ६-६ भक्त-पान दत्तियों का योग ४२ भिक्षादत्तियां। सप्तम सप्तक में प्रतिदिन ७-७ भक्त-पान दत्तियों का योग ४९ भिक्षादत्तियां।
SR No.003440
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthananga Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shreechand Surana
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1981
Total Pages827
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Dictionary, & agam_sthanang
File Size16 MB
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