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________________ षष्ठस्थान ५१७ लिए कह रखा हो तो उन्हें उसकी सूचना देना भी उनका कर्त्तव्य है। ____ छठे कारण से ज्ञात होता है कि कालगत आराधक को विसर्जित करने के लिए साधु या साध्वियों को जाना पड़े तो मौनर्पूवक जाना चाहिए। इस निर्हरणरूप अन्त्यकर्म का विस्तृत विवेचन बृहत्कल्पभाष्य और मूलाराधना से जानना चाहिए। छद्मस्थ-केवली-सूत्र ४- छ ठाणाई छउमत्थे सव्वभावेणं ण जाणति ण पासति, तं जहा—धम्मत्थिकायं, अधम्मत्थिकायं, आयासं, जीवमसरीरपडिबद्धं, परमाणुपोग्गलं, सदं। एताणि चेव उप्पण्णणाणदंसणधरे अरहा जिणे (केवली) सव्वभावेणं जाणति पासति, तं जहा—धम्मत्थिकायं, (अधम्मत्थिकायं, आयासं, जीवमसरीरपडिबद्धं, परमाणुपोग्गलं), सदं। छद्मस्थ पुरुष छह स्थानों को सम्पूर्ण रूप से न जानता है और न देखता है, जैसे१. धर्मास्तिकाय, २. अधर्मास्तिकाय, ३. आकाशास्तिकाय, ४. शरीररहित जीव, ५. पुद्गल परमाणु, ६.शब्द। किन्तु जिनको विशिष्ट ज्ञान-दर्शन उत्पन्न हुआ है, उनके धारण करने वाले अर्हन्त, जिन, केवली सम्पूर्ण रूप से जानते और देखते हैं, जैसे १. धर्मास्तिकाय, २. अधर्मास्तिकाय, ३. आकाशास्तिकाय, ४. शरीररहित जीव, ५. पुद्गल परमाणु, ६. शब्द (४)। असंभव-सूत्र ५- छहिं ठाणेहिं सव्वजीवाणं णत्थि इड्डीति वा जुतीति वा जसेति वा बलेति वा वीरिएति वा पुरिसक्कार-परक्कमेति वा, तं जहा—१. जीवं वा अजीवं करणताए। २. अजीवं वा जीवं करणताए। ३. एगसमए णं वा दो भासाओ भासित्तए। ४. सयं कडं वा कम्मं वेदेमि वा मा वा वेदेमि। ५. परमाणुपोग्गलं वा छिंदित्तए वा भिंदित्तए अगणिकाएणं वा समोदहित्तए। ६. बहिता वा लोगंता गमणताए। सभी जीवों में छह कार्य करने की न ऋद्धि है, न धुति है, न यश है, न बल है, न वीर्य है, न पुरस्कार है और न पराक्रम है, जैसे १. जीव को अजीव करना। २. अजीव को जीव करना। ३. एक समय में दो भाषा बोलना। ४. स्वयंकृत कर्म को वेदन करना या नहीं वेदन करना। ५. पुद्गल परमाणु का छेदन या भेदन करना या अग्निकाय से जलाना। ६.लोकान्त से बाहर जाना (५)।
SR No.003440
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthananga Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shreechand Surana
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1981
Total Pages827
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Dictionary, & agam_sthanang
File Size16 MB
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