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________________ पंचम स्थान-तृतीय उद्देश ५०९ अनन्तक है। ३. द्रव्य-अनन्तक— जीव, पुद्गल परमाणु आदि द्रव्य-अनन्तक हैं। ४. गणना-अनन्तक- जिस गणना का अन्त न हो, ऐसी संख्याविशेष को गणना-अनन्तक कहते हैं। ५. प्रदेश-अनन्तक- जिसके प्रदेश अनन्त हों, जैसे आकाश के प्रदेश अनन्त हैं, यह प्रदेश-अनन्तक है। अथवा अनन्तक पांच प्रकार का कहा गया है, जैसे१. एकत:अनन्तक- आकाश के एक श्रेणीगत आयत (लम्बाई में) अनन्त प्रदेश। २. द्विधा-अनन्तक- आयत और विस्तृत प्रतरक्षेत्र-गत अनन्त प्रदेश। ३. देशविस्तार-अनन्तक– पूर्वादि किसी एक दिशासम्बन्धी देशविस्तारगत अनन्त प्रदेश। ४. सर्वविस्तार-अनन्तक– सम्पूर्ण आकाश के अनन्त प्रदेश। ५. शाश्वत-अनन्तक–त्रिकालवर्ती अनादि-अनन्त जीवादि द्रव्य या कालद्रव्य के अनन्त समय (२१७)। ज्ञान-सूत्र २१८- पंचविहे णाणे पण्णत्ते, तं जहा—आभिणिबोहियणाणे, सुयणाणे, ओहिणाणे, मणपज्जवणाणे, केवलणाणे। ज्ञान पांच प्रकार का कहा गया है, जैसे१. आभिनिबोधिकज्ञान, २. श्रुतज्ञान, ३. अवधिज्ञान, ४. मनःपर्यवज्ञान, ५. केवलज्ञान (२१८)। २१९- पंचविहे णाणावरणिजे कम्मे पण्णत्ते, तं जहा—आभिणिबोहियणाणावरणिजे, (सुयणाणावरणिजे, ओहिणाणावरणिजे, मणपजवणाणावरणिजे), केवलणाणावरणिज्जे। ज्ञानावरणीय कर्म पांच प्रकार का कहा गया है, जैसे १. आभिनिबोधिकज्ञानावरणीय, २. श्रुतज्ञानावरणीय, ३. अवधिज्ञानावरणीय, ४. मनःपर्यवज्ञानावरणीय, ५. केवलज्ञानावरणीय (२१९)। २२०- पंचविहे सज्झाए पण्णत्ते, तं जहा—वायणा, पुच्छणा, परियट्टणा, अणुप्पेहा, धम्मकहा। स्वाध्याय पांच प्रकार का कहा गया है, जैसे १. वाचना— पठन-पाठन करना। २. पृच्छना— संदिग्ध विषय को पूछना। ३. परिवर्तना... पठित विषयों को फेरना। ४. अनुप्रेक्षा— बार-बार चिन्तन करना। ५. धर्मकथा— धर्मचर्चा करना (२२०)। प्रत्याख्यान-सूत्र २२१-- पंचविहे पच्चक्खाणे पण्णत्ते, तं जहा—सद्दहणसुद्धे, विणयसुद्धे, अणुभासणासुद्धे, अणुपालणासुद्धे, भावसुद्धे। प्रत्याख्यान पांच प्रकार का कहा गया है, जैसे१. श्रद्धानशुद्ध-प्रत्याख्यान- श्रद्धापूर्वक निर्दोष त्याग-प्रतिज्ञा । २. विनयशुद्ध-प्रत्याख्यान- विनयपूर्वक निर्दोष त्याग-प्रतिज्ञा ।
SR No.003440
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthananga Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shreechand Surana
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1981
Total Pages827
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Dictionary, & agam_sthanang
File Size16 MB
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