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________________ २८८ स्थानाङ्गसूत्रम् २. उदीरणोपक्रम— कर्मों की उदीरणा में कारणभूत जीव के वीर्य विशेष का प्रयत्न। ३. उपशामनोपक्रम- कर्मों के उपशमन में कारणभूत जीव के वीर्य विशेष का प्रयत्न। ४. विपरिणामनोपक्रम— कर्मों की एक अवस्था से दूसरी अवस्था रूप परिणमन कराने में कारणभूत जीव के वीर्य विशेष का प्रयत्न (२९१)। २९२- बंधणोवक्कमे चउव्विहे पण्णत्ते, तं जहा—पगतिबंधणोवक्कमे, ठितिबंधणोवक्कमे, अणुभावबंधणोवक्कमे, पदेसबंधणोवक्कमे। बन्धनोपक्रम चार प्रकार का कहा गया है, जैसे१. प्रकृतिबन्धनोपक्रम, २. स्थितिबन्धनोपक्रम, ३. अनुभावबन्धनोपक्रम और ४. प्रदेशबन्धनोपक्रम (२९२)। २९३- उदीरणोवक्कमे चउव्विहे पण्णत्ते, तं जहा—पगतिउदीरणोवक्कमे, ठितिउदीरणोवक्कमे, अणुभावउदीरणोवक्कमे, पदेसउदीरणोवक्कमे। उदीरणोपक्रम चार प्रकार का कहा गया है, जैसे१. प्रकृति-उदीरणोपक्रम, २. स्थिति-उदीरणोपक्रम, ३. अनुभाव-उदीरणोपक्रम, ४. प्रदेश-उदीरणोपक्रम (२९३) । २९४- उवसामणोवक्कमे चउव्विहे पण्णत्ते, तं जहा—पगतिउवसामणोवक्कमे, ठितिउवसामणोवक्कमे, अणुभावउवसामणोवक्कमे, पदेसउवसामणोवक्कमे। उपशामनोपक्रम चार प्रकार का कहा गया है, जैसे१. प्रकृति-उपशामनोपक्रम, २. स्थिति-उपशामनोपक्रम, ३. अनुभाव-उपशामनोपक्रम, ४. प्रदेश-उपशामनोपक्रम (२९४)। २९५ – विप्परिणामणोवक्कमे चउव्विहे पण्णत्ते, तं जहा—पगतिविप्परिणामणोवक्कमे, ठितिविप्परिणामणोवक्कमे, अणुभावविप्परिणामणोवक्कमे, पएसविप्परिणामणोवक्कमे। विपरिणामनोपक्रम चार प्रकार का कहा गया है, जैसे१. प्रकृति-विपरिणामनोपक्रम, २. स्थिति-विपरिणामनोपक्रम. ३. अनुभाव-विपरिणामनोपक्रम, ४. प्रदेश-विपरिणामनोपक्रम (२९५) । २९६- चउव्विहे अप्पाबहुए पण्णत्ते, तं जहा—पगतिअप्पाबहुए, ठितिअप्पाबहुए, अणुभावअप्पाबहुए, पएसअप्पाबहुए। अल्पबहुत्व चार प्रकार का कहा गया है, जैसे १. प्रकृति-अल्पबहुत्व, २. स्थिति-अल्पबहुत्व, ... ३. अनुभाव-अल्पबहुत्व, ४. प्रदेश-अल्पबहुत्व (२९६) । २९७ – चउव्विहे संकमे पण्णत्ते, तं जहा—पगतिसंकमे, ठितिसंकमे, अणुभावसंकमे, पएससंकमे।
SR No.003440
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthananga Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shreechand Surana
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1981
Total Pages827
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Dictionary, & agam_sthanang
File Size16 MB
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