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________________ २७४ स्थानाङ्गसूत्रम् उदधिपतिट्ठिया पुढवी, पुढविपतिट्ठिया तसा थावरा पाणा। लोकस्थिति चार प्रकार की कही गई है, जैसे१. वायु (तनुवात-घनवात) आकाश पर प्रतिष्ठित है। २. घनोदधि वायु पर प्रतिष्ठित है। ३. पृथिवी घनोदधि पर प्रतिष्ठित है। ४. त्रस और स्थावर जीव पृथिवी पर प्रतिष्ठित हैं (२५९)। पुरुष-भेद-सूत्र २६०–चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा तहे णाममेगे, णोतहे णाममेगे, सोवत्थी णाममेगे, पधाणे णाममेगे। पुरुष चार प्रकार के कहे गये हैं, जैसे१. तथापुरुष– आदेश को 'तहत्ति' (स्वीकार) ऐसा कहकर काम करने वाला सेवक। २. नोतथापुरुष– आदेश को न मानकर स्वतन्त्रता से काम करने वाला पुरुष। ३. सौवस्तिकपुरुष- स्वस्ति-पाठक-मागध चारण आदि। ४. प्रधानपुरुष— पुरुषों में प्रधान, स्वामी, राजा आदि (२६०)। आत्म-सूत्र २६१- चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा आयंतकरे णाममेगे णो परंतकरे, परंतकरे णाममेगे णो आयंतकरे, एगे आयंतकरेविं परंतकरेवि, एगे णो आयंतकरे णो परंतकरे। पुरुष चार प्रकार के कहे गये हैं, जैसे१. कोई पुरुष अपना अन्त करने वाला होता है, किन्तु दूसरे का अन्त नहीं करता। २. कोई पुरुष दूसरे का अन्त करने वाला होता है, किन्तु अपना अन्त नहीं करता। ३. कोई पुरुष अपना भी अन्त करने वाला होता है और दूसरे का भी अन्त करता है। ४. कोई पुरुष न अपना अन्त करने वाला होता है और न दूसरे का अन्त करता है (२६१)। विवेचन— संस्कृत टीकाकार ने 'अन्त' शब्द के चार अर्थ करके इस सूत्र की व्याख्या की है। प्रथम प्रकार इस प्रकार है १. कोई पुरुष अपने संसार का अन्त करता है अर्थात् कर्म-मुक्त होकर मोक्ष प्राप्त करता है। किन्तु दूसरे को उपदेशादि न देने से दूसरे के संसार का अन्त नहीं करता। जैसे प्रत्येकबुद्ध केवली आदि। २. दूसरे भंग में वे आचार्य आदि आते हैं, जो अचरमशरीरी होने से अपना अन्त तो नहीं कर पाते, किन्तु उपदेशादि के द्वारा दूसरे के संसार का अन्त करते हैं। ३. तीसरे भंग में तीर्थंकर और अन्य सामान्य केवली आते हैं जो अपने भी संसार का अन्त करते हैं और उपदेशादि के द्वारा दूसरों के भी संसार का अन्त करते हैं।
SR No.003440
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthananga Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shreechand Surana
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1981
Total Pages827
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Dictionary, & agam_sthanang
File Size16 MB
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