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स्थानाङ्गसूत्रम्
पुरुष 'शब्द सुनूंगा' इसलिए दुर्मनस्क होता है तथा कोई पुरुष 'शब्द सुनूंगा' इसलिए न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है (२८७)।]
२८८ - [तओ पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा—सई असुणेत्ता णामेगे सुमणे भवति, सई असुणेत्ता णामेगे दुम्मणे भवति, सहं असुणेत्ता णामेगे णोसुमणे-णोदुम्मणे भवति। २८९- तओ पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा सई ण सुणामीतेगे सुमणे भवति, सदं ण सुणामीतेगे दुम्मणे भवति, सई ण सुणामीतेगे णोसुमणे-णोदुम्मणे भवति। २९०- तओ पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा सई ण सुणिस्सामीतेगे सुमणे भवति, सदं ण सुणिस्सामीतेगे दुम्मणे भवति, सदं ण सुणिस्सामीतेगे णोसुमणे-णोदुम्मणे भवति।]
[पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं—कोई पुरुष 'शब्द नहीं सुन करके' सुमनस्क होता है। कोई पुरुष 'शब्द नहीं सुन करके' दुर्मनस्क होता है तथा कोई पुरुष 'शब्द नहीं सुन करके' न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है (२८८)। पुनः पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं—कोई पुरुष 'शब्द नहीं सुनता हूं' इसलिए सुमनस्क होता है। कोई पुरुष 'शब्द नहीं सुनता हूं' इसलिए दुर्मनस्क होता है तथा कोई पुरुष 'शब्द नहीं सुनता हूं'इसलिए न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है (२८९) । पुनः पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं—कोई पुरुष 'शब्द नहीं सुनूंगा' इसलिए सुमनस्क होता है। कोई पुरुष 'शब्द नहीं सुनूंगा' इसलिए दुर्मनस्क होता है तथा कोई पुरुष 'शब्द नहीं सुनूंगा' इसलिए न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है (२९०)।]
२९१ - [तओ पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा—रूवं पासित्ता णामेगे सुमणे भवति, रूवं पासित्ता णामेगे दुम्मणे भवति, रूवं पासित्ता णामेगे जोसुमणे-णोदुम्मणे भवति। २९२ - तओ पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा रूवं पासामीतेगे सुमणे भवति, रूवं पासामीतेगे दुम्मणे भवति, रूवं पासामीतेगे णोसुमणे-णोदुम्मणे भवति। २९३ - तओ पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा रूवं पासिस्सामीतेगे सुमणे भवति, रूवं पासिस्सामीतेगे दुम्मणे भवति, रूवं पासिस्सामीतेगे णोसुमणेणोदुम्मणे भवति।]
- [पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं—कोई पुरुष रूप देखकर' सुमनस्क होता है। कोई पुरुष 'रूप देखकर' दुर्मनस्क होता है तथा कोई पुरुष रूप देखकर' न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है (२९१)। पुनः पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं—कोई पुरुष 'रूप देखता हूं' इसलिए सुमनस्क होता है। कोई पुरुष 'रूप देखता हूं' इसलिए दुर्मनस्क होता है तथा कोई पुरुष 'रूप देखता हूं' इसलिए न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है (२९२) । पुनः पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं—कोई पुरुष 'रूप देखूगा' इसलिए सुमनस्क होता है। कोई पुरुष 'रूप देगा' इसलिए दुर्मनस्क होता है तथा कोई पुरुष रूप देखूगा' इसलिए न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है (२९३)।
२९४- [तओ पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा–रूवं अपासित्ता णामेगे सुमणे भवति, रूवं अपासित्ता णामेगे दुम्मणे भवति, रूवं अपासित्ता णामेगे णोसुमणे-णोदुम्मणे भवति। २९५- तओ पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा रूवं ण पासामीतेगे सुमणे भवति, रूवं ण पासामीतेगे दुम्मणे भवति,