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________________ १३२ स्थानाङ्गसूत्रम् दुम्मणे भवति, अदच्या णामेगे णोसुमणे-णोदुम्मणे भवति। २४१- तओ पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा—ण देमीतेगे सुमणे भवति, ण देमीतेगे दुम्मणे भवति, ण देमीतेगे णोसुमणे-णोदुम्मणे भवति। २४२- तओ पुरिसजाया पात्ता, तं जहा—ण दासामीतेगे सुमणे भवति, ण दासामीतेगे दुम्मणे भवति, ण दासामीतेगे णोसुम'. पणे भवति।] [पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं—कोई पुरु, 'नहीं देकर' सुमनस्क होता है। कोई पुरुष 'नहीं देकर' दुर्मनस्क होता है तथा कोई पुरुष नहीं देकर' न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है (२४०)। पुनः पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं—कोई पुरुष नहीं देता हूं' इसलिए सुमनस्क होता है। कोई पुरुष 'नहीं देता हूं' इसलिए दुर्मनस्क होता है तथा कोई पुरुष नहीं देता हूं' इसलिए न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है (२४१) । पुनः पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं—कोई पुरुष 'नहीं दूंगा' इसलिए सुमनस्क होता है। कोई पुरुष 'नहीं दूंगा' इसलिए दुर्मनस्क होता है तथा कोई पुरुष नहीं दूंगा' इसलिए न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है (२४२)।] ___ २४३- [तओ पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा भुंजित्ता णामेगे सुमणे भवति, भुंजित्ता णामेगे दुम्मणे भवति, भुंजित्ता णामेगे णोसुमणे-णोदुम्मणे भवति। २४४- तओ पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा—भुंजामीतेगे सुमणे भवति, भुंजामीतेगे दुम्मणे भवति, भुंजामीतेगे णोसुमणे-णोदुम्मणे भवति। २४५- तओ पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा—भुंजिस्सामीतेगे सुमणे भवति; भुंजिस्सामीतेगे दुम्मणे भवति, भुंजिस्सामीतेगे णोसुमणे-णोदुम्मणे भवति।] [पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं—कोई पुरुष 'भोजन कर' सुमनस्क होता है। कोई पुरुष 'भोजन कर' दुर्मनस्क होता है तथा कोई पुरुष भोजन कर' न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है (२४३)। पुनः पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं—कोई पुरुष 'भोजन करता हूं' इसलिए सुमनस्क होता है। कोई पुरुष 'भोजन करता हूं' इसलिए दुर्मनस्क होता है तथा कोई पुरुष भोजन करता हूं' इसलिए न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है (२४४)। पुनः पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं—कोई पुरुष 'भोजन करूंगा' इसलिए सुमनस्क हाता है। कोई पुरुष 'भोजन करूंगा' इसलिए दुर्मनस्क होता है तथा कोई पुरुष 'भोजन करूंगा' इसलिए न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है (२४५)।] २४६- [तओ पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा—अभुंजित्ता णामेगे सुमणे भवति, अभुंजित्ता णामेगे दुम्मणे भवति, अभुंजित्ता णामेगे णोसुमणे-णोदुम्मणे भवति। २४७– तओ पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा—ण भुंजामीतेगे सुमणे भवति, ण भुंजामीतेगे दुम्मणे भवति, ण भुंजामीतेगे जोसुमणेणोदुम्मणे भवति। २४८- तओ पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा–ण भुंजिस्सामीतेगे सुमणे भवति, ण भुंजिस्सामीतेगे दुम्मणे भवति, ण भुंजिस्सामीतेगे णोसुमणे-णोदुम्मणे भवति।] [पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं—कोई पुरुष भोजन न करके' सुमनस्क होता है। कोई पुरुष 'भोजन न करके' दुर्मनस्क होता है तथा कोई पुरुष भोजन न करके न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है (२४६) । पुनः पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं—कोई पुरुष 'भोजन नहीं करता हूं' इसलिए सुमनस्क होता है। कोई पुरुष 'भोजन नहीं करता हूं' इसलिए दुर्मनस्क होता है तथा कोई पुरुष 'भोजन नहीं करता हूं' इसलिए न सुमनस्क होता
SR No.003440
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthananga Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shreechand Surana
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1981
Total Pages827
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Dictionary, & agam_sthanang
File Size16 MB
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