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तृतीय स्थान द्वितीय उद्देश
लोक-सूत्र
१४०- तिविहे लोगे पण्णत्ते, तं जहा—णामलोगे, ठवणलोगे, दव्वलोगे। १४१- तिविहे लोगे पण्णत्ते, तं जहा—णाणलोगे, दंसणलोगे, चरित्तलोगे। १४२ – तिविहे लोगे पण्णत्ते, तं जहा—उड्डलोगे, अहोलोगे, तिरियलोगे।
लोक तीन प्रकार के कहे गये हैं—नामलोक, स्थापनालोक और द्रव्यलोक ( १४०)। पुनः लोक तीन प्रकार के कहे गये हैं—ज्ञानलोक, दर्शनलोक और चारित्रलोक (ये तीनों भावलोक हैं) ( :१)। पुनः लोक तीन प्रकार के कहे गये हैं—ऊर्ध्वलोक, अधोलोक और तिर्यग्लोक (१४२)। परिषद्-लोक
१४३— चमरस्स णं असुरिदस्स असुरकुमाररण्णो तओ परिसाउण्णत्ताओ, तं जहा—समिता, चंडा, जाया। अब्भितरिया समिता, मज्झिमिया चंडा, बाहिरिया जाया। १४४ - चमरस्स णं असुरिदस्स असुरकुमाररण्णो सामाणियाणं देवाणं तओ परिसाओ पण्णत्ताओ, तं जहा—समिता जहेव चमरस्स। १४५- एवं–तायत्तीसगाणवि। १४६- लोगपालाणं-तुंबा तुडिया पव्वा। १४७- एवंअग्गमहिसीणवि। १४८- बलिस्सवि एवं चेव जाव अग्गमहिसीणं।
__ असुरकुमारों के राजा चमर असुरेन्द्र की तीन परिषद् (सभा) कही गई हैं—समिता, चण्डा और जाता। आभ्यन्तर परिषद् का नाम समिता है, मध्य की परिषद् का नाम चण्डा है और बाहिरी परिषद् का नाम जाता है (१४३)। असुरकुमारों के राजा चमर असुरेन्द्र के सामानिक देवों की तीन परिषदें कही गई हैं—समिता, चण्डा और जाता (१४४)। इसी प्रकार चमर असुरेन्द्र के त्रायस्त्रिंशकों की तीन परिषद् कही गई हैं (१४५)। चमर असुरेन्द्र के लोकपालकों की तीन परिषद् कही गई हैं तुम्बा, त्रुटिता और पर्वा (१४६)। इसी प्रकार चमर असुरेन्द्र की अग्रमहिषियों की तीन परिषद् कही गई हैं तुम्बा, त्रुटिता और पर्वा (१४७)। वैरोचनेन्द्र बली की तथा उनके सामानिकों और त्रायस्त्रिंशकों की तीन-तीन परिषद् कही गई हैं—समिता, चण्डा और जाता। उसके लोकपालों और अग्रमहिषियों की भी तीन-तीन परिषद् कही गई हैं तुम्बा, त्रुटिता और पर्वा (१४८)।
१४९ - धरणस्स य सामाणिय-तायत्तीसगाणं च समिता चंडा जाता। १५०– 'लोगपालाणं अग्गमहिसीणं' ईसा तुडिया दढरहा। १५१- जहा धरणस्स तहा सेसाणं भवणवासीणं।
नागकुमारों के राजा धरण नागेन्द्र तथा उसके सामानिकों एवं त्रायस्त्रिंशकों की तीन-तीन परिषद् कही गई हैं—समिता, चण्डा और जाता (१४९)। धरण नागेन्द्र के लोकपालों और अग्रमहिषियों की तीन-तीन परिषद् कही