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________________ ७१ द्वितीय स्थान तृतीय उद्देश विहरंति, तं जहा देवकुराए चेव, उत्तरकुराए चेव। ३१७ – जंबुद्दीवे दीवे दोसु वासेसु मणुया सया सुसममुत्तमं इड्ढेि पत्ता पच्चणुभवमाणा विहरंति, तं जहा–हरिवासे चेव, रम्मगवासे चेव। ३१८जंबुद्दीवे दीवे दोसु वासेसु मणुया सया सुसमदूसममुत्तममिड्ढेि पत्ता पच्चणुभवमाणा विहरंति, तं जहा हेमवए चेव, हेरण्णवए चेव। ३१९- जंबुद्दीवे दीवे दोसु खेत्तेसु मणुया सया दूसमसुसममुत्तममिड्ढेि पत्ता पच्चणुभवमाणा विहरंति, तं जहा—पुव्वविदेहे चेव, अवरविदेहे चेव। ३२०– जंबुद्दीवे दीवे दोसु वासेसु मणुया छव्विहंपि कालं पच्चणुभवमाणा विहरंति, तं जहा–भरहे चेव, एरवते चेव। ___ जम्बूद्वीप नामक द्वीप में मन्दर पर्वत के दक्षिण और उत्तर के देवकुरु और उत्तरकुरु में रहने वाले मनुष्य सदा सुषम-सुषमा नामक प्रथम आरे की उत्तम ऋद्धि को प्राप्त कर उसका अनुभव करते हुए विचरते हैं (३१६)। जम्बूद्वीप नामक द्वीप में मन्दर पर्वत के दक्षिण में हरिक्षेत्र और उत्तर में रम्यकक्षेत्र में रहने वाले मनुष्य सदा सुषमा नामक दूसरे आरे की उत्तम ऋद्धि को प्राप्त कर उसका अनुभव करते हुए विचरते हैं (३१७) । जम्बूद्वीप नामक द्वीप में मन्दर पर्वत के दक्षिण में हैमवत क्षेत्र में और उत्तर के हैरण्यवत क्षेत्र में रहने वाले मनुष्य सदा सुषम-दुषमा नामक तीसरे आरे की उत्तम ऋद्धि को प्राप्त कर उसका अनुभव करते हुए विचरते हैं (३१८)। जम्बूद्वीप नामक द्वीप में मन्दर पर्वत के पूर्व में पूर्व विदेह और पश्चिम में अपर—(पश्चिम) विदेह क्षेत्र में रहने वाले मनुष्य सदा दुषमसुषमा नामक चौथे आरे की उत्तम ऋद्धि को प्राप्त कर उसका अनुभव करते हुए विचरते हैं (३१९)। जम्बूद्वीप नामक द्वीप में मन्दर पर्वत के दक्षिण में भरत क्षेत्र और उत्तर में ऐरवत क्षेत्र में रहने वाले मनुष्य छहों प्रकार के काल का अनुभव करते हुए विचरते हैं (३२०)। चन्द्र-सूर्य-पद ३२१- जंबुद्दीवे दीवे दो चंदा पभासिंसु वा पभासंति वा पभासिस्संति वा। ३२२– दो सूरिआ तविंसु वा तवंति वा तविस्संति वा। जम्बूद्वीप नामक द्वीप में दो चन्द्र प्रकाश करते थे, प्रकाश करते हैं और प्रकाश करेंगे (३२१)। जम्बूद्वीप नामक द्वीप में दो सूर्य तपते थे, तपते हैं और तपेंगे (३२२)। नक्षत्र-पद ३२३– दो कित्तियाओ, दो रोहिणीओ, दो मग्गसिराओ, दो अदाओ, दो पुणव्वसू, दो पूसा, दो अस्सलेसाओ, दो महाओ, दो पुव्वाफग्गुणीओ, दो उत्तराफग्गुणीओ, दो हत्था, दो चित्ताओ, दो साईओ, दो विसाहाओ, दो अणुराहाओ, दो जेट्ठाओ, दो मूला, दो पुव्वासाढाओ, दो उत्तरासाढाओ, दो अभिईओ, दो सवणा, दो धणिट्ठाओ, दो सयभिसया, दो पुव्वाभद्दवयाओ, दो उत्तराभद्दवयाओ, दो रेवतीओ, दो अस्सिणीओ, दो भरणीओ, [जोयं जोएंसु वा जोएंति वा जोइस्संति वा ?]। __जम्बूद्वीप नामक द्वीप में दो कृत्तिका, दो रोहिणी, दो मृगशिरा, दो आर्द्रा, दो पुनर्वसु, दो पुष्य, दो अश्लेषा, दो मघा, दो पूर्वाफाल्गुणी, दो उत्तराफाल्गुनी, दो हस्त, दो चित्रा, दो स्वाति, दो विशाखा, दो अनुराधा, दो ज्येष्ठा, दो मूल,
SR No.003440
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthananga Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shreechand Surana
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1981
Total Pages827
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Dictionary, & agam_sthanang
File Size16 MB
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