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प्रथम अध्ययन : छठा उद्देशक : सूत्र ३
(६) सचित्त क्षार (खारी या नौनी मिट्टी)। (७) हड़ताल। (८) हींगलू। (९) मेनसिल। (१०) अंजन। (११) नमक। (१२) गेरू (लाल मिट्टी)। (१३) पीली मिट्टी। (१४) खड़िया मिट्टी।३ (१५) सौराष्टिका (सौराष्ट्र में पायी जाने वाली एक प्रकार की मिट्टी, जिसे 'गोपीचंदन'
भी कहते हैं)। (१६) तत्काल पीसा हुआ बिना छना आटा। (१७) चावलों के छिलके।६ .(१८) गीली वनस्पति का चूर्ण या फलों के बारीक टुकड़े।
इसमें पुरःकर्म, पश्चात्कर्म, उदकाई और सस्निग्ध ये चार अप्काय से सम्बन्धित हैं। पिष्ट, कुक्कुस और उक्कुट्ठ-ये तीन वनस्पतिकाय से सम्बन्धित हैं और शेष ग्यारह पृथ्वीकाय से सम्बन्धित हैं। “दशवैकालिक सूत्र में एवं' और 'बोधव्वं' ये दो पद संग्रहगाथाओं के सूचक हैं। चूर्णिकार ने चूर्णि में इसके पूर्वोक्त 'उदउल्लं' (उदका) से लेकर 'उक्कुटुं' तक संसृष्ट योग्य सत्तरह सचित्त पदार्थों को लेकर सत्तरह गाथाएँ दी हैं। १. (क) उसो नाम पंसुखारो -जिन० चू० पृ० १७९
(ख) उसो लवणपंसू। -अगस्त्य चू० पृ० १०९ २. वण्णिया पीयमद्रिया, वर्णिका-पीली मिट्टी। -जिन० चू० पृ० १७९ ३. सेडिया-सेटिका-खटिका-खड़िया मिट्टी। -टीका० पत्र० ३४१ ४. सोरट्ठिया-सौराष्ट्रयाढकी तुवरी पपर्टी कालिका सती।
सुजाता देशभाषायां गोपीचन्दनमुच्यते॥ -शालिग्राम निघण्टु पृ०६४ ५. आमपिढें आमलोट्ठो सो अप्पिंधणो पोरिसिमित्तेण परिणमइ बहुइंधणो आरतो परिणमइ।
-जि० चू० पृ०१७९ ६. कुक्कुसा-चाउलत्तया (चावलों के छिलके)-जिनदास चूर्णि पृ० १७९ ७. उकुट्ठो णाम सचित्त वणस्सति पत्रंकुरफलाणि वा उदूखले छुब्भति, तेहि हत्थो लित्ता।
-निशीथ० भा० गा० १४८ चू० ८. निशीथ भाष्य चूर्णि । ९. (क) एवं उदओल्ले ससिणिद्धे ससरक्खे मट्टिया ऊसे।
हरियाले हिंगुलए, मणोसिला अंजणे लोणे॥३३॥