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________________ सूत्रांक १०६ १०७ १०८ - १०९ ११०-१११ ११२-११७ ११८ ११९ - १२१ १२२ - १२४ १२५-१२६ १२७ १२८ - १३१ १३२-१३६ १३७-१३९ १४०-१७२ १४३-१४६ १४७ - १४८ १४९ १५० - १५१ शीतोष्णीय : तृतीय अध्ययन ( ४ उद्देशक ) पृष्ठ ७७ से १०९ प्रथम उद्देशक द्वितीय उद्देशक तृतीय उद्देशक चतुर्थ उद्देशक प्रथम उद्देशक द्वितीय उद्देशक तृतीय उद्देशक चतुर्थ उद्देशक सुप्त- जाग्रत अरति-रति-त्याग समता-दर्शन मित्र- अमित्र - विवेक सत्य में समुत्थान कषाय-विजय सम्यक्त्व : चतुर्थ अध्ययन (४ उद्देशक ) पृष्ठ ११० से १३१ अप्रमत्तता लोकसंज्ञा का त्याग प्रथम उद्देशक बंध - मोक्ष-परिज्ञान असंत की व्याकुल चित्तवृत्ति संयम में समुत्थान सम्यग्वाद : अहिंसा के सन्दर्भ में सम्यग्ज्ञान : आस्रव : आस्रव-परिस्रव चर्चा सम्यक् तप : दुःख एवं कर्मक्षय विधि सम्यक्चारित्र : साधना के सन्दर्भ में लोकंसार : पंचम अध्ययन ( ६ उद्देशक ) पृष्ठ १३२ से १७३ काम : कारण और निवारण संसार - स्वरूप - परिज्ञान आरम्भ-कषाय-पद [४१] पृष्ठ ७९-८० ८०-८२ ८२-८५ ८५-८७ ८७-९३ ९३-९४ ९४-९६ ९७-१०१ १०१ १०१-१०३ १०३ - १०९ ११२ - ११५ ११५-१२२ १२२-१२६ १२७-१३१ १३४-१३६ १३६ - १३८ १३८ - १४०
SR No.003436
Book TitleAgam 01 Ang 01 Acharanga Sutra Part 01 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1989
Total Pages430
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Conduct, & agam_acharang
File Size9 MB
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