________________
सूत्रांक
६३
६४
=
६५-६७*
६८
६९-७०
७१
७२-७४
७५
७६-७८
७९-८०
८१-८२
८३-८४
८५
८६
८७-८८
८९
९०-९१
९२-९३
९४
९५-९७
९८-९९
१०० - १०१
१०२ - १०५
लोकविजय : द्वितीय अध्ययन (६ उद्देशक ) पृष्ठ ३६ से ७६
प्रथम उद्देशक
द्वितीय उद्देश
तृतीय उद्देशक
चतुर्थ उद्देशक
पंच उद्देश
षष्ठ उद्देशक
संसार का मूल : आसक्ति अशरणता - परिबोध
प्रमाद-परिवर्जन आत्महित की साधना
अरति एवं लोभ का त्याग
लोभ पर अलोभ से विजय
अर्थलोभी की वृत्ति
गोत्रवाद निरसन
प्रमाद एवं परिग्रहजन्य दोष
परिग्रह से दुःखवृद्धि
काम-भोगजन्य पीड़ा आसक्ति ही शल्य है
विषय महामोह भिक्षाचरी में समभाव
शुद्ध आहार की एषणा
वस्त्र - पात्र आहार- संयम
काम - भोग-विरति
देह की असारता का बोध
सदोष - चिकित्सा - निषेध
सर्व अव्रत - विरति
अरति-रति-विवेक
बंध - मोक्ष परिज्ञान
उपदेश - कौशल
[४०]
पृष्ठ
३८-३९
३९-४०
४०-४१
४२
४३-४४
४४
४५-४६
४७-४८
४८-५०
५०-५२
५२-५३
५३-५४
५४-५५
५५
५५-५९
५९-६१
६१-६३
६३-६६
६६-६७
६७-७०
७०-७१
७१-७३
७३-७६