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व्यक्तित्व दर्शन
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थे । उनकी इस विशिष्टता को आगम में-'चउ नाणोवगएत्ति' विशेषण से स्पष्ट किया है । वे मतिज्ञान एवं श्रु तज्ञान से समस्त वांङमय के ज्ञाता एवं उपदेष्टा सिद्ध होते हैं, अवधिज्ञानी होने के कारण विश्व के भौतिक पदार्थों के भूत भविष्य के परिणामों का ज्ञान भी उन्हें था, और फिर मनःपय व ज्ञान के द्वारा वे संसार के समस्त संज्ञी प्राणियों के मनोभावों, मानसिक उत्थान पतन, परिवर्तन आदि का विशिष्ट ज्ञान भी प्राप्त कर लेते थे।
गौतम की ज्ञान संपदा संसार की सर्वोत्तम एवं सर्वोत्कृष्ट संपदा थी। वे संसार के प्रत्येक पदार्थ एवं प्रत्येक विद्या के ज्ञाता थे। और इतने बड़े ज्ञानी जब आत्म साधना के मार्ग पर बढ़ तो समस्त दैहिक भावों से मुक्त होकर अध्यात्म के चरम शिखर तक पहुँच गये थे। कठोर तपश्चरण, एकांत विशुद्ध ध्यान और उसी के साथ भगवान महावीर की अनन्यतम उपासना यह गौतम के जीवन की विशिष्टता थी।
इस प्रकार गौतम के जीवन की एक रूप छवि जो आगमों से हमें प्राप्त होती है-उस पर चिन्तन करने से लगता है-गौतम अपने युग के महानतम तत्वज्ञानी, विशिष्ट साधक और तपस्वी थे। एक विरल अध्यात्म योगी, सिद्धिसंपन्न साधक और विश्वकल्याण की उदग्र भावना से युक्त परिव्राजक ! जिनका बाह्य व्यक्तित्व भी गौरवपूर्ण था और आन्तरिक व्यक्तित्व तो अन्यतम अक्षय गरिमा से मण्डित, सिद्धि से संपन्न एवं अपने युग का अद्वितीय भी कहा जा सकता है।
____ गौतम के जीवन में जितनी तपश्चरण की पार्वतीय उत्कटता थी उतनी ही विनय, सरलता, मृदुता की सुकुमार पुष्प सम कोमलता भी । उनका जीवन पुष्प वस्तुत: पुष्प नहीं, किन्तु फूलों का वह गुलदस्ता है, जिसमें विविध रंग, विभिन्न सौरभ एवं विविध आकार के सुरम्य सुकुमार फूल महक रहे हैं और अपने परिपार्श्व को भी सुरभित करते जा रहे हैं । आगम साहित्य में गौतम के अनेक जीवन प्रसंग फूलों की तरह बिखरे हुए हैं जिनमें कहीं भक्ति एवं विनय की सौरभ है, कहीं सरलता, सत्यनिष्ठा की महक है, तो कहीं ज्ञानोपासना एवं तत्त्व जिज्ञासा की सुगंध है, जो जीवन के विविध पक्षों को सुन्दर एवं सुरम्य रूप में प्रस्तुत करती हैं। अगले पृष्ठों पर हम गौतम के विविध जीवन प्रसंगों को एक माला का रूप देकर प्रस्तुत कर रहे हैं।
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