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सांस्कृतिक अवलोकन
प्रभुत्व को पुनः स्थिर करने के लिए कोई स्थाई उपाय सोचा जाय । परिस्थितियों के अध्ययन से एवं ग्रन्थों में प्राप्त वर्णन से यह प्रतीत होता है कि आर्य सोमिल जो मगध का एक धनाढ्य एवं विद्वान ब्राह्मण था, ब्राह्मण वर्ग का नेतृत्व भी उसके हाथ में था और पूरे मगध एवं पूर्व भारत में उसकी प्रतिष्ठा भी थी । पावापुरी में उसने एक विराट महायज्ञ का आयोजन किया। जिसमें पूर्व भारत के बड़े-बड़े दिग्गज विद्वानों को उनके हजारों शिष्य परिवार के साथ निमन्त्रित किया गया । सम्भवतः इस महायज्ञ के अवसर पर वेद विरोधी विचारधारा के कड़े प्रतिवाद के उपायों पर एवं साधारण जनता को पुनः वैदिक विचारों की ओर आकृष्ट करने के साधनों पर भी विचार करने की योजना बनी होगी। इस सम्पूर्ण महायज्ञ का नेतृत्व मगध के प्रसिद्ध विद्वान प्रकाण्ड तर्कशास्त्री 'इन्द्रभूति गौतम' कर रहे थे । अन्य अनेक विद्वानों के साथ अग्निभूति, वायुभूति आदि ग्यारह महापण्डित भी वहाँ उपस्थित थे।
गौतम : एक परिचय
इन्द्रभूति गौतम का जन्म स्थल था मगध का एक छोटा-सा गोबर ग्राम । उनकी माता का नाम पृथ्वी, एवं पिता का नाम वसुभूति था। उनका गोत्र गौतम था।
गौतम का व्युत्पत्तिजन्य अर्थ करते हुए जैनाचार्यों ने लिखा है— “गोभिस्तमो ध्वस्तं यस्य"३४ बुद्धि के द्वारा जिसका अन्धकार नष्ट हो गया है वह—गौतम । वैसे 'गौतम' शब्द कुल एवं वंश का वाचक रहा है । स्थानांग में सात प्रकार के गौतम बताए गए हैं । गर्ग, भारद्वाज, आंगिरस आदि । वैदिक साहित्य में गौतम नाम कुल से भी सम्बद्ध रहा है और ऋषियों से भी। ऋग्वेद में गौतम के नाम से अनेक सूक्त मिलते हैं, जो गौतम राहूगण नामक ऋषि से सम्बद्ध हैं ।२६ वैसे गौतम नाम से अनेक ऋषि, धर्म सूत्रकार, न्याय शास्त्रकार, धर्म शास्त्रकार आदि व्यक्ति हो चुके हैं
३३. मगहा गोव्वरगामे.........."आवश्यक नियुक्ति गा. ६४३. ६५६ ३४. अभिधान राजेन्द्र कोश भा. ३ गौतम शब्द ३५. स्थानांग ७ ३६. ऋग्वेद १. ६२. १३. (वदिक कोश पृ० १३४)
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