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इन्द्रभूति गौतम
आलोकित करते हैं, जिसमें एक ही साथ धर्म, दर्शन, संस्कृति और सभ्यता का चतुमुख रूप अभिव्यक्त होता है, उनकी वाणी में धर्म और दर्शन अवतरित होते हैं
और उनके व्यवहार में, आचरण में संस्कृति और सभ्यता का रूप निखरता है तथा विचार और आचार-पल्लवित, पुष्पित एवं फलित होता है । उनका जीवन केवल जीवन ही नहीं, ज्ञान, भक्ति एवं कर्म का सजीव शास्त्र होता है ।
___ भारत में ऐसे व्यक्तित्व-सम्पन्न एवं तेजस्वी व्यक्ति समय समय पर अवतरित होते रहे हैं, जिनके विचार और आचार, ज्ञान और क्रिया का दिव्य-प्रकाश आज भी धर्म एवं समाज तथा भारतीय संस्कृति के सभी अंचलों को आलोकित कर रहा है, जन-जन के जीवन को ज्योति से ज्योतित कर रहा है। मर्यादापुरुषोत्तम राम, कर्म योगी श्रीकृष्ण, करुणामूर्ति बुद्ध, और श्रमण भगवान महावीर-ये चार आर्य संस्कृति के दिव्य रत्न हैं, उनके जीवन की रजत-रश्मियों से भारतीय संस्कृति को अपूर्व आलोक मिला है, और उनके जीवन को ऊर्जस्विता ने संस्कृति को प्राणवान बनाए रखा है। जब कभी इन महान् व्यक्तित्व सम्पन्न व्यक्तियों के जीवन का मैं गम्भीरता से अध्ययन करता हूँ तो मुझे यह स्पष्ट परिलक्षित होता है, कि इनके जीवन के साथ और भी चार तेजस्वी व्यक्तियों का घनिष्ट सम्बन्ध रहा है । जिन्होंने अपने आपको पूर्णतः समर्पण कर दिया था। जिनकी तेजस्वी श्रद्धा, भक्ति एवं निष्ठा तथा कृतित्वता इनके व्यापक एवं विराट व्यक्तित्व में इस प्रकार समाहित हो गई-- 'जाह्ववीया इवार्णवे-जैसे महासागर में गङ्गा की निर्मल धाराएँ । मर्यादा पुरुषोत्तम राम के जीवन में स्नेह, सेवा और शौर्य की साकार मूर्ति लक्ष्मण, कर्म योगी कृष्ण के जीवन में 'कर्मण्येवाधिकारस्ते' का एकनिष्ठ उपासक अर्जुन, करुणाशील तथागत बुद्ध के अनुपदों पर गतिमान सेवा-परायण आनन्द और समतायोगी भगवान महावीर की साधना में ज्ञान के साथ अनन्य गुरु-निष्ठा के मूर्तिरूप इन्द्रभूति गौतम ने अपने आप को विलीन कर दिया था।
साधना के क्षेत्र में व्यक्ति स्वयं अपना विकास कर सकता है। परन्तु साधना को सिद्ध करके उसके प्रकाश को जन-जन के जीवन में प्रसारित करने के लिए जब महान् व्यक्तित्वसम्पन्न व्यक्ति भी समाज में प्रविष्ट होता है, अथवा संघ एवं समाज की स्थापना करता है, तो वह इसके लिए सहयोगी के रूप में तेजस्वी व्यक्ति
त्व की अपेक्षा रखता है, और यह आवश्यक भी है । क्योंकि सहयोग के बिना कार्य · को साकार रूप नहीं दिया जा सकता । ज्ञान की अभिव्यक्ति करने के लिए क्रिया का
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