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सांस्कृतिक अवलोकन
जीवन-दर्शन
हिन्दी-साहित्य के जगमगाते ज्योतिर्मय नक्षत्र महाकवि सुमित्रानन्दन पंत ने महा-मानव के जीवन को व्याख्या करते हुए कहा है-~-महान् व्यक्तित्व सम्पन्न व्यक्ति का जीवन एक स्वच्छ एवं निर्मल दर्पण-सा होता है । जिसमें राष्ट्र, जाति, समाज एवं धर्म के आदर्श, सांस्कृतिक विरासत, दर्शन एवं चिन्तन की आकृति-प्रतिबिम्बित होती रहती है। उसका जीवन अन्तर के आत्म-प्रकाश, आत्म-ज्योति से ज्योतित होता है । उसके आत्म-आलोक से धर्म, समाज एवं राष्ट्र के अंधकाराच्छन्न कोण आलोकित एवं प्रकाशित हो उठते हैं। उसके हृदय के स्पन्दन में संपूर्ण मानवता की, संपूर्ण विश्व की धड़कन होती है । इसी अभिधा में कवि का स्वर अभिगुञ्जित हो रहा है
जिसमें हो अन्तर का प्रकाश, जिसमें समवेत हृदय स्पन्दन । मैं उस जीवन को वारणी द्,
जो नव आदर्शों का दर्पण ।। विश्व, समाज एवं संघ के उदयाचल पर कभी-कभार ऐसे विरल व्यक्तित्व उदित होते हैं, और अपनी आन्तरिक चमक-दमक की जगमगाहट से विश्व को
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