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________________ १३८ इन्द्रभूति गौतम राजगृह क्या है ? गौतम ने पूछा-भगवन् ! क्या राजगृह नगर पृथ्वी कहा जाय, जल कहा जाय, कूट कहा जाय, शैल कहा जाय अथवा अचित्त और मिश्र द्रव्य कहा जाय ? भगवान-गौतम ! इन सब का समुदाय संघात ही राजगृह है । ५३ लवरण समुद्र का पानी भगबान से गौतम ने पूछा-भगवन् ! लवण समुद्र का पानी उछाले मारता हुआ है, या अक्षुब्ध है? भगवान ने कहा-गौतम ! लवण समुद्र उछाल मारते हुए पानी वाला है ।५४ मेघ स्त्री या पुरुष ? गौतम ने पूछा-"भगवन् ! मेघ आत्म ऋद्धि से गति कर ता है या पर ऋद्धि से ? भगवान—“गौतम ! मेघ परऋद्धि (वायु अथवा देव द्वारा प्रेरित होकर) गति करता है । वह पर-कर्म, पर-प्रयोग से गतिशील है। गौतम-भगवन् ! मेघ क्या स्त्री है, पुरुष है, हाथी, है घोड़ा है, वह क्या है ? भगवान-गौतम ! वह न स्त्री है, न पुरुष है, न हाथी है, न घोड़ा है, वह मेघ है।५५ घोड़े का शब्द गौतम स्वामी ने पूछा-भगवन् ! जब घोड़ा दौड़ता है तब वह 'खु-खु' शब्द क्यों करता है ? ५३. भगवती ५९ ५४. भगवती ६८ ५५. भगवती ३।४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003429
Book TitleIndrabhuti Gautam Ek Anushilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaneshmuni, Shreechand Surana
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1970
Total Pages178
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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