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परिसंवाद
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स्फुट - विषय
उन्माद
भगवान से गौतम ने पूछा--"भगवन् ! उन्माद (विवेक हीनता) कितनी प्रकार के हैं ?
भगवान-गौतम ! दो प्रकार के हैं । (१) यक्षावेश रूप (२) मोहावेश रूप (अज्ञान एवं काम के आवेश)
प्रथम में--यक्ष आदि के शरीर में प्रवेश करने पर चेतना का भ्रश हो जाता है, विवेक लुप्त हो जाता है।
दूसरे में-मोह कर्म के उदय से अतत्व में तत्व रूप श्रद्धा होती है, विषायादि के कटु फल जानकर भी उनका सेवन करता है, और कामावेश के कारण हिताहित का भान भूल जाता है ।५१
उपधि
एक बार भगवान महावीर राजगृह में पधारे । वहाँ गौतम स्वामी ने भगवान से पूछा-भगवन् ! उपधि (जीवन निर्वाह में उपयोगी साधन) कितने प्रकार की हैं ?
भगवान ने कहा-गौतम ! उपधि तीन प्रकार की है। कर्मरूप उपधि. शरीर रूप उपधि तथा वस्त्र पात्र आदि सामग्री रूप उपधि । नैरयिक एवं ऐकेन्द्रिय जीवों को प्रथम दो प्रकार की उपधि होती है, बाकी सभी जीवों की तीन प्रकार की उपधि होती है ।५२
५१. ५२.
भगवती १४।३ भगवती १८१७
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