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________________ १३६ गौतम ने पूछा - भगवन् ! फाणित गुड (गुड़ की कटु रस ? इसी प्रकार उसमें वर्ण, गन्ध और स्पर्श कितने भगवान ने कहा--" गौतम ! व्यवहार दृष्टि से गुड में एक मधुर रस कहा जाता है, किन्तु निश्चय दृष्टि से उसमें पांच रस, पांच वर्ण, दो गन्ध एवं आठ स्पर्श विद्यमान रहते हैं । ९ इन्द्रभूति गौतम गुड में कितने रस ? राब) में मधुर रस है या " हैं ? ४९. भगवती १८/६ ५०. भगवती १1७ गौतम ने पूछा - भगवन् ! ( गर्भगत जीव में ) माता के अंग कितने होते हैं ? Jain Education International भगवान ने कहा - "गौतम ! माता के तीन अंग (प्राणि में) रहते हैं - माँस, रक्त और मस्तुलु रंग - भेजा । गौतम - भगवन् ! पिता के अंग कितने होते हैं ? भगवान - गौतम ! पिता के भी तीन अंग होते हैं - 'अस्थि मज्जा तथा केश-दाढ़ी-रोम - नख ! गौतम - भगवन् ! माता के ये अंग संतान में कितने काल तक रहते हैं ? भगवान — गौतम ! जितने काल तक संतान का शरीर स्थिर रहता है, तब तक माता-पिता अंग उसमें रहते हैं । ५० ११५० माता-पिता का अंग For Private & Personal Use Only 3 www.jainelibrary.org
SR No.003429
Book TitleIndrabhuti Gautam Ek Anushilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaneshmuni, Shreechand Surana
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1970
Total Pages178
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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