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इन्द्रभूति गौतम
भगवान- ''हाँ गौतम ! यह ठीक है ।"
गौतम-- "भगवन् ! क्या वह प्रयोग (जीव के उद्यम) से परिणमता है, या स्वभाव से ?'
भगवन्---गौतम ! प्रयोग से भी परिणमता है और स्वभाव से भी ?४
देवासुर संग्राम
गौतम स्वामी ने पूछा-भगवन् ! क्या देव और असुरों का संग्राम होता है ?"
भगवान-“हाँ, गौतम ! होता है, जब उनमें संग्राम होता है, तब तृण, लकड़ी पत्ता और कंकर भी, जिस किसी वस्तु को देव स्पर्श करते हैं तब वह उनका शस्त्र बन जाता है, किंतु असुर कुमार के लिए तो उनके विकुर्वणा किए हुए शस्त्र मात्र ही शस्त्र होते हैं ?" ४५
देवासुर विरोध का कारण
गौतम स्वामी ने पूछा- "भगवन् ! असुरकुमार सौधर्मकल्प देवलोक तक जाते हैं इसका क्या कारण है ?"
भगवान-“गौतम ! उन देवों एवं असुरकुमारों में जन्मना वर (भवप्रत्ययिक वैर) होता है । वे देवों को, देवियों के साथ आनन्द भोगते हुए कष्ट देते हैं एवं उनके दिव्य रत्नों को चुराकर एकान्त में कहीं जाकर छुप जाते हैं ।"४६
देवों के भेद
गौतम स्वामी ने भगवान से पूछा- "भगवन् ! देव कितने प्रकार के होते हैं ?'
४४. भगवती १।३ ४५. भगवती १८७ ४६. भगवती १८७
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