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________________ परिसंवाद १३३ गौतम-भगवन् ! इतने विशाल लोक में ऐसा कोई परमाणु जितना प्रदेश भी है, जहाँ यह जीव उत्पन्न न हुआ हो, और न जहाँ मरण प्राप्त किया हो ?' ___ भगवान गौतम ! यह बात यथार्थ नहीं है । (भगवान ने उदाहरण दिया) गौतम ! जिस प्रकार कोई एक पुरुष सौ बकरी रखने के लिए एक बाड़ा बनाता है। और फिर उसमें उतनी सी जगह में हजार बकरी भर देवे, उसमें खूब पानी, और घास चरने की सुविधा हो, अब छ: मास तक वे एक हजार बकरियाँ उस बाड़े में बंद रही तो, क्या यह संभव है कि उस बाड़े का एक कोई परमाणु जितना भी प्रदेश उन बकरियों के मूत्र, लींडी, सींग, पद-नख आदि के द्वारा अस्पृष्ट रहा हो ? गौतम-भगवन् ! नहीं, ऐसा नहीं हो सकता ! भगवान-गौतम ! उस बाड़े में एकाधा प्रदेश ऐसा रह भी सकता है, जहाँ बकरी की लींडी, मूत्र आदि का स्पर्श न हुआ हो, किंतु लोक के विषय में यह नहीं हो सकता । चूँकि लोक शाश्वत है, संसार अनादि है, और जीव नित्य है तथा कर्म एवं जन्म मरण की बहुलता के कारण एक भी ऐसा प्रदेश नहीं है, जहाँ जीव ने जन्म धारण न किया हो, तथा मृत्यु प्राप्त न की हो । ५२ परमाणु शाश्वत अशाश्वत गौतम स्वामी ने पूछा-"भगवन् परमाणु शाश्वत है या अशाश्वत ?” भगवान ने कहा-'गौतम ! परमाणु द्रव्य रूप में शाश्वत है, और पर्याय रूप में अशाश्वत है।०४३ अस्तित्व नास्तित्व गौतम स्वामी ने पूछा- "भगवन् ! क्या अस्तित्व अस्तित्व में परिणत होता है, और नास्तित्व नास्तित्व में ?" ४२. नत्थि केई परमाणु पोग्गल मेत्ते वि पएसे जत्थ णं अयं जीवे न जाए वा, न मए वा वि। -भगवती १२।७ ४३. भगवती सूत्र १४।४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003429
Book TitleIndrabhuti Gautam Ek Anushilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaneshmuni, Shreechand Surana
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1970
Total Pages178
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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