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पुद्गल का स्वरूप ! ७५
८. छाया-छाया shadow भी एक पुद्गल की पर्याय है । सूर्य आदि ग्रह-नक्षत्र प्रकाश-युक्त पदार्थों के निमित्त से आस-पास के वातावरण को ज्योतिर्मय बना देते हैं। परन्तु इन प्रकाश की किरणों का जो पुद्गलस्कन्ध जितने स्थान में अवरोध कर लेता है, उतने स्थान में प्रकाश नहीं, छाया दिखाई देती है। छाया पौद्गलिक है और प्रकाश का आवरण है। तत्त्वार्थ सूत्र की सर्वार्थसिद्धि टीका में छाया को दो प्रकार का बताया हैवर्णादि विकारों में परिणत और प्रतिबिम्बित । साफ शीशे में जो व्यक्ति या पदार्थों का प्रतिबिम्ब पड़ता है, वह पुद्गल की पर्याय है और उसे छाया या प्रतिच्छाया कहते हैं। दूसरा रूप सिनेमा के पर्दे Cinema screen पर देखा जा सकता है। सिनेमा के पर्दे पर जो चलचित्र परिलक्षित होता है, वह फिल्म Film की प्रतिच्छाया ही है। इससे स्पष्ट होता है कि छाया, माया एवं कल्पना नहीं, ठोस पुद्गल है। विज्ञान ने छाया की परिभाषा इस प्रकार की है-सही रूप में प्रकाश का अवरोध (आवरण) ही छाया
"The production of si adows is also correctly explained as due to the obstruction of light.1
-१० आतप और उद्योत-आतप और उद्योत-दोनों पुद्गल की पर्यायें हैं। विज्ञान की दृष्टि से प्रकाश के दो रूप हैं-आतप Heat और Light | सूर्य का प्रकाश, आग की ज्योति या लैंप की रोशनी आतप है,
और चन्द्र की ज्योत्स्ना, खद्योत अथवा जुगनू की धीमी-रोशनी और रत्नों में से निकलने वाली रोशनी आदि को उद्योत कहते हैं। आतप में प्रकाश कम और ताप अधिक होता है, और उद्योत में प्रकाश की मात्रा अधिक होती है, गर्मी कम । विज्ञान ने यह प्रमाणित कर दिया है, कि लैम्प में १५% प्रकाश रहता है, और सूर्य में ३५% प्रकाश होता है। इसका अर्थ है, कि लैम्प और सूर्य की क्रमशः १५% और ३५% शक्ति ही प्रकाश में परिवर्तित होती है, शेष ८५% और ६५% शक्ति आतप में परिणत होतो है। परन्तु जुगनू या खद्योत Glow-worm के शरीर में जो रोशनी दिखाई देती है, उसमें ६६% ज्योति रहती है और १% आतप । इसलिए प्रथम के प्रकाश को आतप और द्वितीय के प्रकाश को उद्योत कहते हैं । और ये पुद्गल की पर्याय हैं, अतः ये मात्र शक्ति रूप नहीं, प्रत्युत पुद्गल-द्रव्य के स्कन्ध है । क्योंकि कोई भी शक्ति निराधार नहीं रहती।
1. Cosmology : Old and New, P. 176
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