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१८ | जैन दर्शन के मूलभूत तत्त्व को ढूंढ़ निकालने का प्रयत्न शुरू हुआ, और इस अन्वेषण (Research) के परिणामस्वरूप वैज्ञानिकों ने (Light) की गति में ईथर (Ether) को माध्यम स्वीकार किया। जिस प्रकार जैन-दर्शन ने धर्म-द्रव्य को गति में सहायक माना, उसी प्रकार विज्ञान ने Ether को Medium of motion for light (प्रकाश की गति में माध्यम) स्वीकार किया है। सर्वप्रथम गति में सहायक होने पर भी जैन-दर्शन द्वारा मान्य धर्म-द्रव्य और विज्ञान द्वारा स्वीकृत ईथर के स्वरूप में कुछ भिन्नता भी है । ईथर को वैज्ञानिक अभौतिक नहीं, भौतिक पदार्थ मानते थे। उसमें विशेष प्रकार और परिमाण में लचक एवं घनता भी है । उस लचक एवं घनता का परिमाण भी बताया जाता था, परन्तु वह सन्देह से परे नहीं था। उस समय तक ईथर जैन-दर्शन द्वारा मान्य धर्म-द्रव्य के साथ गति में माध्यम के रूप में ही समानता रखता है। परन्तु उसके स्वरूप एवं अन्य दृष्टियों की अपेक्षा से दोनों भौतिक और अभौतिक आदि भेदों को लेकर एक-दूसरे से भिन्न विचार रखते थे। परन्तु बीसवीं शताब्दी में इस सम्बन्ध में वैज्ञानिक क्षेत्र में जो अन्वेषण हुए उसने वैज्ञानिकों की पुरातन परिभाषाओं को एकदम बदल दिया है। बीसवीं शताब्दी के महान् वैज्ञानिक आइन्स्टीन के सापेक्षवाद (Theory of Relativity) के अनुसार ईथर (Ether) अभौतिक (Non-material, Non-atomic) है, लोक में व्याप्त है, नहीं देखा जा सकने वाला एक अखण्ड द्रव्य है, जो अन्य भौतिक द्रव्यों (Material Substance) से भिन्न है।
__ एडविन एडसर (Edwin Edser) ने अपनी पुस्तक लाइट (Light) में लिखा है-- "ईथर किस प्रकार का था? इसके सम्बन्ध में तुरन्त कठिनाइयाँ परिलक्षित होने लगीं । क्योंकि यह सिद्ध हो चुका था
१. ईथर सब गैसों से पतला है-Thinner than the thinnest gas. २. फौलाद से भी अधिक सघन है- More rigid than steel. ३. सर्वत्र नितान्त एक-सा है-Absolutely the same every-where ४. भार-शून्य है--Absolutely weightless.
५. किसी पड़ौसी एलोक्ट्रोन के निकट शीशे से भी अधिक भारी है - In the neighbourhood of any electron, immensely heavier than - lead.
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