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________________ अजीव-तत्त्व | १३५ अनन्त प्रदेश होते हैं। काल का एक ही प्रदेश होता है । पुद्गल के चार भेद है-स्कन्ध, देश, प्रदेश और परमाणु । स्कन्ध क्या है ? अनन्त परमाणुओं का संघात, स्कन्ध होता है । देश क्या है ? स्कन्ध का विभाग देश कहा जाता है । उसका छोटा भाग। प्रदेश क्या है ? पुद्गल का अविभाज्य अंश प्रदेश होता है। प्रदेश अपने प्रदेशी से कभी पृथक् नहीं होता। परमाणु क्या है ? परम+अणु को परमाणु कहते हैं । अणु अनन्त हैं और नित्य हैं। उनकी पर्यायों में परिवर्तन होता है। परमाणु और प्रदेश में क्या अन्तर है ? परमाणु स्कन्ध से पृथक् हो सकता है । परन्तु प्रदेश स्कन्ध से कभी अलग नहीं होता है । परमाणुओं में सदा संघात और भेद होता रहता है। प्रदेश में कभी भेद नहीं होतायही दोनों में अन्तर है। वर्तना, परिणाम, क्रिया, परत्व और अपरत्व-ये काल द्रव्य के उपकार हैं, अर्थात् कार्य हैं । उसकी उपयोगिता यही है । वर्तना-समस्त द्रव्य अपने आप प्रवृत्त होते हैं, तथापि उनके वर्तन में जो बाह्य सहकारिकारण होता है, उसे वर्तना कहते हैं । परिणाम-अपने स्वभाव को न छोड़कर द्रव्यों की पर्यायों के बदलने को परिणाम कहते हैं। जैसे जीवों के परिणाम क्रोध आदि और पुद्गलों के परिणाम अणु आदि। क्रिया-एक स्थान से दूसरे स्थान में गमन करने को क्रिया कहते है। परत्व-अपरत्व-छोटे-बड़े के व्यवहार को परत्व-अपरत्व कहते हैं। जैसे पच्चीस वर्ष के मनुष्य को बड़ा और बीस वर्ष के मनुष्य को उसकी अपेक्षा छोटा कहते हैं। ___ ये सब काल द्रव्य की सहायता से होते हैं। इसलिए इन्हें देखकर अमूर्त निश्चय काल द्रव्य का अनुमान हो जाता है। ___ काल के दो भेद हैं-निश्चयकाल और व्यवहारकाल । समय रूप काल तो निश्चयकाल है। मुहूर्त, घड़ी, दिन-रात, पक्ष-मास और वर्ष-युग आदि व्यवहारकाल है, जो ढाई द्वीप में ही होता है । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003427
Book TitleJain Darshan ke Mul Tattva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaymuni Shastri
PublisherDiwakar Prakashan
Publication Year1989
Total Pages194
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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