SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 47
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 17 चन्दनबाला ___ भगवान् महावीर दीक्षा ग्रहण कर चुके थे, और शून्य वनों में रहकर साधना कर रहे थे। प्राय: जंगल में ही रहते थे, केवल तपस्या के पारणे के लिए ही कभी-कभी नगरी में आते थे। एक बार भगवान् ने बड़ा लम्बा तपश्चरण किया। तप करते-करते पाँच मास और पच्चीस दिन हो गये उन्हीं दिनों भारतवर्ष की चम्पा नगरी में बड़ी भयंकर घटना हुई। चम्पा नगरी के राजा दधिवाहन और कौशाम्बी के राजा शतानिक में युद्ध छिड़ गया। शतानिक की विशाल सेना का आक्रमण दधिवाहन झेल न सका, पराजित होकर भाग खड़ा हुआ। दधिवाहन की रानी धारिणी और पुत्री चन्दनबाला भी वन में भागी जा रही थी, कि शतानिक के एक सैनिक ने उनको गिरफ्तार कर लिया। - सैनिक धारिणी और चन्दनबाला को रथ में बिठाकर, जब कौशाम्बी ले जा रहा था, तब वह मार्ग में धारिणी रानी के रूप को देखकर मोहित हो गया और कहने लगा- "तुम मेरे साथ रहना। मैं तुम्हें अपनी स्त्री बनाकर रखूगा, तुम्हें किसी प्रकार की तकलीफ नहीं होगी।' 42 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003424
Book TitleJain Bal Shiksha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year2002
Total Pages70
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy