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________________ समय की सूझ लखनऊ का एक प्रसिद्ध नबाब बड़ा ही अस्थिर चित व्यक्ति था। वह किसी भी कार्य को दृढ़ता पूर्वक नहीं कर पाता था। मानसिक दुर्बलता ने उसके जीवन को बेकार कर दिया था। कहा जाता है-एक बार उसने एक व्यक्ति को किसी परगने का शासन करने के लिए अधिकारी नियुक्त कर के भेजा। ज्यों ही वह अधिकारी उस परगने में पहुँचा, त्यों ही उसको तो वापस लौटने का परवाना मिला और उसके स्थान पर किसी दूसरे आदमी को नियुक्त कर के भेज दिया। इस दूसरे आदमी को पहुँचते देर न हुई कि वह भी वापस बुला लिया गया और उसके स्थान पर तीसरा आदमी आ पहुँचा । उस की भी वही दशा हुई। हाँ तो अब नवाब साहब की आज्ञा पाकर चौथा आदमी उस परगने की ओर चलने लगा, तब उसे चल-चित्त नबाब के विचारों की अस्थिरता का ध्यान आया। वह व्यक्ति बड़ा ही चतुर और कुछ मसखरा भी था। इसलिए घोड़े पर दुम-पूछ की तरफ मुंह करके सवार हुआ और नगर से बाहर शहर की तरफ मुंह किए महल के पास से परगने की ओर चलने लगा। उस समय नबाब साहब महल की छत पर टहल रहे थे। उन्होंने उसे घोडे पर पूछ की ओर मुंह करके बैठे हुए देखा, तो वे बड़े आश्चर्य एवं कुतूहल में पड़ गए। समय की सूझ : Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003422
Book TitleSagar ke Moti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherVeerayatan
Publication Year1991
Total Pages96
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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