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________________ ७२ ] रघुवरजसप्रकास छंद सिख सर धनुख सफत जन सरण, रख कर सुख रट सु झट रांम । 'किसन' किव समर पल यक न कर " हर सुरण घर विरद भज सुख धांम ॥ १२२ छंद रस उल्लाला पनरै तेरह मत्त पय, छंद उल्लाल पिछांणजै । रघुनाथ सुजस सौ छंद रच, बीदग मुख वाखांराजै ॥ १२३ रस उल्लारा भेद दहा रस उल्लाल तिथ तेर मत, छवीस सम पद स्यांम | स्यांमक रस दूहा सहित, मुण तै छप्पय नांम ॥ १२४ उलटौ रस उलाल उण, आाख वरंग उलाल । दाख त्रिदस फिर पंच दस, तुक बिहं वै पड़ताळ ॥ १२५ पनर पर मत दोय पय, कांम उलाल कहंत । यण विध छंद उलालरा, भेद पांच भावंत ॥ १२६ अथ माहा छंद लछरण प्रथम त्रीये मत बार पढ़, अख पद बियै अठार | चौथे पनरह मात रच, यम गाथा उच्चार ॥ १२७ सात चतुर कळ अंत गुरु, जगरण छठे थळ जोय । उत्तर दळ छट्ठ े सुथळ, दुज कै यक लघु होय ॥ १२८ १२३. बीदग - (सं० विदग्ध) पंडित, कवि | १२४. तिथ - पन्द्रह | १२५. त्रिदस - तेरह | नोट- ग्रंथकर्ताने निम्नलिखित रस उल्लाला के पांच भेदोंके नाम दोहोंमें बतलाये हैं, उनके उदाहरण नहीं दिये । १. रस उल्लाला, २. स्यांम उल्लाला ३ छप्पय उल्लाला, ४. बरंग उल्लाला ५. कांम उल्लाला । * ग्रंथकर्ताने महाछंद शीर्षक देकर नीचे गाथा अर्थात् श्रार्या छन्दोंका विवरण दिया है । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003420
Book TitleRaghuvarjasa Prakasa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages402
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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