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रघुवरजसप्रकास
[ २१ पूरब मत्त पर मत्त मिळाय, गुरु करि नस्ट भेद यम गाय ॥ ६६ अथ मात्रा संख्या स्थान विपरीत हर प्रकारांतर यां दोयांईकौ उदिस्ट कहू छू ।
चौपई
भेद सीस दखिण ब्रत अंक, दै उलटा क्रम हूत निसंक । गुरु सिर अंकां मझ सिवाय, एक मेळ कर भेद बताय ॥ ६७ अथ मात्रा संख्या स्थान विपरीतको हर संख्या स्थान विपरीतको प्रकारांतर यां दोयांईको नस्ट कहू छु।
चौपई क्रम विपरीत अंक लघु सीस, दै पूछ ल यक घाट करीस। रहैस पूरब जोड़ पर मत, नस्ट संख्य उलट थळ सत ॥ ६८
दूहा आठ भांत प्रस्तार मत्त, नस्ट ऊदिस्ट प्रकार । 'किसन' सुकवि जस रांम कज, रटिया मत अनुसार ॥ ६६
इति अस्ट प्रकार मात्रा प्रस्तार उदिस्ट नस्ट संपूरण । ___ अथ प्रस्ट प्रकार वरण प्रस्तार विधि लिख्यते ।
वारता
वरण सुध प्रस्तारको तौ लछण आगे कह्यौईज छै । अथ अस्ट वरण प्रस्तार नाम । यथा--
वरण सुध प्रस्तार १, वरण सुध प्रकारांतर २, नीचासू ऊंचौ लख्यौ जाय जींको नाम प्रकारांतर कहियै, वरण स्थान विपरीत ३, प्रस्तार नै कड़ौट फेरावणी सौ स्थान विपरीत कहीजै । वरण स्थान विपरीत प्रकारांतर ४, वरण
६६. यम-इस प्रकार । गाय-कह । ६७. सीस-ऊपर । ब्रत-व्रत । सिर-ऊपर । ६८. घाट-घटाना । करीस-करना । पर-पागेकी। सत-साथ । ६६. मत-मात्रा। कज-लिए। मत-(मति)बुद्धि । कडोट-पंक्तिके उलटनेकी क्रिया या भाव ।
फेरावणी-उलटना।
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