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________________ १६ ] भाग चींतवौ वरण नव, लघु करि सम जिण वोड़ | विसम भागमें मेल यक, गुर कर कवि सिर मोड़ ॥ ५६ अथ सोस विधि मात्रा वरण प्रस्तार लिखरण विधि कौतुकार्थे लिख्यते । वारता एक तो पिंगळ मत सुधौ प्रस्तार ऊपरासू नीचौ लिख्यौ जाय सौ, ज्यौं ही सुद्ध प्रस्तार नीचासू ऊंचो लिख्यो जाय जीनै प्रकारांत कहीजै । इतरै प्राठ प्रकार तौ मात्रा प्रस्तार । हर ग्राठ प्रकार ही वरण प्रस्तार छै जे कहै छै । अथ नांम जथा रघुवरजसप्रकाश अथ वर्णं नस्ट विधि दूहौ सुद्ध, मात्रा सुद्ध १, मात्रा सुद्ध प्रकारांतर २, मात्रा स्थान विपरीत ३, मात्रा स्थान विपरीत प्रकारांतर ४, मात्रा संख्या विपरीत ५, मात्रा संख्या विपरीतकौ प्रकारांतर ६ मात्रा संख्या स्थान विपरीत ७, मात्रा संख्या स्थान विपरीतकौ प्रकारांतर ८, ए ग्राठ मात्रा प्रस्तार विधि । वणिक नष्ट वरिंगक नष्टमें सूचीके अंक आधे-आधे लिखो । छंदके पूर्णाङ्कमेंसे प्रश्नाङ्क घटाश्रो । शेष बचे उसके अनुसार दाहिनी ओरसे बांई ओरके जो-जो अंक क्रमपूर्वक घट सकते हों उनको गुरु कर दो । प्रश्न- बताओ ४ वर्णों में ध्वां रूप कौन सा होगा ? रीति - पूर्णाङ्क ८x२= १६ में से 8 घटाये, शेष ७ रहे । ७ में से ४, २ और १ ही घट सकते हैं । इसलिए इन तीनोंको गुरु कर दिया । यथा - अर्ध सूची - १२४८ पूर्णाङ्क १६ साधारण चिन्ह ।।।। उ०--ऽ ऽ ऽ । यही नवां भेद है । दूसरा प्रकार जितने वर्णका वर्रिएक नष्ट निकालना हो उतने ही अंकों तक प्रश्नाङ्क में २का भाग देकर भागफलको क्रमशः बांई श्रोरसे रख दीजिये किन्तु जिन विषम संख्याओं में २का भाग पूरा-पूरा नहीं जाता हो उनमें १ जोड़ देना चाहिए । सम संख्या के नीचे लघु और विषमके नीचे गुरु रखने पर उत्तर मिल जायगा । चार वरणों का हवां रूप रोति - ६ ५ ३ २ Jain Education International ऽ ऽ ऽ । यही 5 5 5 उत्तर है । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003420
Book TitleRaghuvarjasa Prakasa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages402
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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