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________________ रघुवरजसप्रकास [ ३३३ a विसावी खेद विचार बुध यण कीध मंड अनेक । सौ दपुर उचार 'किसना' अचळ राघव क ॥ श्रथ न्यविधि निसांणी सोहटप तथा सीहचली लछण चौपई सोळह दस मत यक पद साज, गीत प्रोढ गुरु लघू गाय । सीहचली तुक उलट सकाय, ॥ २० अथ दुतीय सीहचलो निसांणी उदाहरण निसांरगी तन स्यांम अंबुद रूप तड़िता, वसन पीत विचार | वासन्न पीत विचार सरवर, धनुख सायक धार ॥ धानंख सायक घर धरम घर, भुजां झल्ला भार । जुध जार दससिर कुंभ जेहा, सकळ कांम सुधार ॥ सह कांम दास सुधार समरथ, श्रेक रांम उदार ॥ २१ " अथ निसांणी सिरखुली लछण हौ Jain Education International मध्य मेळ मत बार पर, नव मत सीस खुलाय । तुक प्रत मत यकवीस तव, सिर खुल्ली कह साय ॥ २२ अरथ जिण निसांणीरै तुक नेक प्रत मात्रा यकवीस होय । तुक प्रेकका दोय विभाग होय । पै'ला विभागरी मात्रा बारै होय जठे मध्य मेळ निसांणीरौ तुकंत, दूजौ विभाग मात्रा नवरी होय जठे सिरखुली कहीजै । २०. मत - मात्रा । यक- एक 1 २१. अंबुद-बादल । तड़िता-बिजली | वसन-वस्त्र । पीत- पीला । वासन्न-वस्त्र । धनुखधनुष । सायक- बारण, तीर । भल्लण - धारण करने वाला । जार-संहार कर, मार व्यभिचारी पुरुष | कुंभ - रावणका भाई कुंभकर्ण । जेहा - जैसा | सह- सब | २२. बार-बारह । यकवीस - इक्कीस । तव कह | कर, For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003420
Book TitleRaghuvarjasa Prakasa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages402
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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