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रघुवरजसप्रकास
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विसावी खेद विचार बुध यण कीध मंड अनेक । सौ दपुर उचार 'किसना' अचळ राघव क ॥
श्रथ न्यविधि निसांणी सोहटप तथा सीहचली लछण चौपई
सोळह दस मत यक पद साज, गीत प्रोढ गुरु लघू गाय । सीहचली तुक उलट सकाय,
॥ २०
अथ दुतीय सीहचलो निसांणी उदाहरण निसांरगी
तन स्यांम अंबुद रूप तड़िता, वसन पीत विचार | वासन्न पीत विचार सरवर, धनुख सायक धार ॥ धानंख सायक घर धरम घर, भुजां झल्ला भार । जुध जार दससिर कुंभ जेहा, सकळ कांम सुधार ॥ सह कांम दास सुधार समरथ, श्रेक रांम उदार ॥ २१
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अथ निसांणी सिरखुली लछण हौ
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मध्य मेळ मत बार पर, नव मत सीस खुलाय ।
तुक प्रत मत यकवीस तव, सिर खुल्ली कह साय ॥ २२
अरथ
जिण निसांणीरै तुक नेक प्रत मात्रा यकवीस होय । तुक प्रेकका दोय विभाग होय । पै'ला विभागरी मात्रा बारै होय जठे मध्य मेळ निसांणीरौ तुकंत, दूजौ विभाग मात्रा नवरी होय जठे सिरखुली कहीजै ।
२०. मत - मात्रा । यक- एक 1
२१. अंबुद-बादल । तड़िता-बिजली | वसन-वस्त्र । पीत- पीला । वासन्न-वस्त्र । धनुखधनुष । सायक- बारण, तीर । भल्लण - धारण करने वाला । जार-संहार कर, मार व्यभिचारी पुरुष | कुंभ - रावणका भाई कुंभकर्ण । जेहा - जैसा | सह- सब | २२. बार-बारह । यकवीस - इक्कीस । तव कह |
कर,
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