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________________ ३३२ ] रघुवरजसप्रकास अथ निसांणी सीहटप लछण दूही तुक प्रत मत छबीस तव, तगण क जगण तुकंत । सौ निसांणी सीहटप, हणु आंकणी कहंत ॥ १८ प्ररथ प्रत तुक मात्रा छावीस होय । तुकंतमें जगण बोहत होय। कठैक तगण गण पण तुकंतमें होय । दोय तुकारै पछै हण इसा सबदरी प्रांकणी होय सौ निसांणी सीहटप पण कहीजै। अथ सीहटप निसांणी उदाहरण निसांगी यक आद-पुरुख अनादसू दख भ्रहम माया दोख । त्रय भ्रहम विसन महेस ने गुण हुवा जिण जग होय ॥ हणु हुवा जिण जग होय हरखित चाह बेद चियार । तत पंच कर खट तरक तै दरियाव सात उदार ॥ हणु सात दध दस आठ सर जे नवे ग्रह नर नाह । अवतार दस कर रुद्र ग्यारह बारह मेघ दुबाह ॥ हणु बारह मेघ नीर विरचित मास तेरह मंड । दस च्यार विद्या रतन दाखव पनर तिथि परचंड ॥ हणु पंच दस तिथ सोळ कळ पढ सरस नार सिंगार । साहस सतरह खंड गूजर थाप ग्रांम बिथार ॥ हण थाप गांम बिथार भार अठार वन कर भेद । उगणीस वरसे भोम जोबन विसावीस अखेद ॥ १८. तुक प्रत-प्रति चरण । मत-मात्रा। छबीस-छब्बीस । तव-कह । क-या, अथवा । कठेक-कहीं पर। १६. यक-एक। पाद-पुरुख-प्रादि पुरुष। दख-कह । भ्रहम-ब्रह्मा । विसन-विष्णु। महेस-महादेव। दध (उदधि) सागर, समुद्र । दाखव-कह । तिथ-तिथि, तारीख । सोळ-सोलह । बुध-पंडित । खंड-देस। विसावीस-पूर्ण, पूरा। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003420
Book TitleRaghuvarjasa Prakasa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages402
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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