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रघुवरजसप्रकास
दूहौ नपुर रसना भरण फणि, चांमर कुंडळ हिमेण । मुग्ध वक्रमांणसु वलय, हारसु गुरु यकेण ॥ ३२
द्विमात्रा द्विलघु भेद नाम
दूही
निज प्रिय कहिये परम प्रिय, दु लघु द्वि मत्ता नाम । गुण यम मात्रा पंच गण, रट कीरत रघुराम ॥ ३३
अथ साधारण गण नांम
दूहा . आयुध गण कह पंच कळ, दुज तुरंग कळ च्यार । करण दु गुरु प्रिय दोय लघु, लघु गुरु ध्वज गुरु हार ॥ ३४ तविया गण एता तकौ, समझण छंद सुजाण । ल कहिये समझे लघु, ग कहिये गुरु जाण ॥ ३५
अथ सोडस करम वरणण
दूहा संख्या प्रस्तर सूचिका, नस्ट उदिस्ट सुमेर । ध्वजा मरकटी जांण सुध, अाठू करम अफेर ॥ ३६ आठ सुमत्ता करम श्रे, आठ वरण अपणाय । पिंगळ मत श्रे कवि पढ़े, सोड़स करम सुभाय ॥ ३७
३२. यकेण-एक । ३३. गुण-समझ । यम-इस प्रकार । ३५. तविया-कहे। ३६. प्रस्तर-प्रस्तार । सुध-(सुधि) विद्वान् । अफेर-पटल ।
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