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________________ ध्वज चिन्ह वास चिराळ, चिर तौमर तू मर घास । नूत माळ रस वलय , लादि त्रिमात्र प्रकास ॥ २६ त्रिमात्रा गुरुवादि दुतिय भेद नांम दूहौ सुरपति पट्टह ताळकर, ताळ अनंद छंद आदि गुरु त्रय मत्तकौ, नांम द्विभेद भावा रस तांडव कहौ, कुस और है त्रय लघुका नाम अ, त्रय मत्ता पंचमी णगण द्विमात्रादि भेद प्रथम एक गुरु नांम २६. लादि -लघ्वादि । १ २ ३ १ २ रूप 15 SI 111 रूप रघुवरजसप्रकास चौथे ढगण तीन मात्रा तीन भेद लघ्वादि नांम दूहौ S = 11 Jain Education International त्रिमात्रा त्रतीय सरव - लघु भेद नांम दूहौ 弱 संज्ञा [ & + संज्ञा सार । उचार ॥ ३० ४ ढगण ध्वज, चिन्ह, वास, चिराळ, चिर, तौमर, तूंमर, घास, नूंत माळ रस वलय सुरपति, पट्टह, ताळकर, ताळ, अनंद, छंद, सार भावारस, तांडव आंकुस, अन्तर For Private & Personal Use Only अनार । प्रस्तार ॥ ३१ ५ णगण नूपुर, रसना, भरण, फरिण, चांमर, कुंडळ, हिमेरण, मुग्ध, वक्रमांण, वलय, हार । प्रिय, परमप्रिय | www.jainelibrary.org
SR No.003420
Book TitleRaghuvarjasa Prakasa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages402
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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