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रघुवरजसप्रकास
[ ३२३ अथ गीत रूपग गजगत उदाहरण
गीत रिव कुळ रूपरा रे, समथ सरूपरा, प्रगट अनूपरा रे ,
भुज रघु भूप । भूपरा रघु भुजदंड भास तरह चयर सगरांमरा । नव खंड भूम अरोड़ नांमण कौट मंड सकांमरा । धुज धरम सर कोदंड धारण मेर अोपत मामरा । आनूप भुज परचंड आहव रूप रिवकुळ रांमरा । सुज ब्रद साहणौ रे निबळ निबाहणौ चित जिस चाहणौ रे ,
गज थट गाहणौ ॥ गाहणौ गज थट अघट गाढंम प्रगट रजवट पेखजै । लंकाळ घट घट अलल लाटण तीख कुळवट तेखजै । जिण कीध वटपट निपट जळधर अद्र तार ऊभेखजै । सिर मुगट जग रट अघट स्त्रीवर विरद धार विसेखजै । मह जस मंडियौ रे बाळ बिहंडियो ते रण तंडियौ रे ,
खळदळ खंडियौ ॥ खळदळां कंकळ सबळ खंड वीर तंडै भुजबळी । सुज गळां समपै ग्रीध समळां पळां भोजन परघळी ।
२६८. समथ-समर्थ । भूम-भूमि । अरोड़-जबरदस्त । नामग-नमाने वाला। सर-जाण ।
कोदंड-धनूष । मेर-समेरू। मामरा-दृढ़ता का। पाहव-युद्ध। साहणौ-धारण करने वाला। निबाहणौ-निभाने वाला। चाहणी-चाहने वाला। थट-दल, समूह । गाहणौ-ध्वंश करने वाला । गाढंम-शक्ति। रजवट-क्षत्रियत्व । लंकाळ-वीर । तीख-विशेषता । जळधर-समुद्र । अद्र-पर्वत । बाळ-बालि वानर । विहंडियौ-ध्वंश किया, मारा। रण-युद्ध । तंडियौ-दहाड़ा, जोशपूर्ण शब्द किया। खंडियौ-संहार किया। कंकळ-युद्ध । खंडे-संहार किये । भुजबळी-शक्तिशाली। गळां-मांस-पिंड। समळां-मांसाहारी पक्षी विशेष । पळां-मांस । परधळी-पूर्ण, अपार ।
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