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रघुवरजसप्रकास
[ ३२१ मोड़ा जातधानंकी ग्रीवरा हणू उमाहरे । जांनकी पावराखोड़ा बाहरे जोधार ॥ २६३
अथ गीत दुजौ स्री हणमानजीरौ
गीत जयवंत सावझड़ी ओपत तन तेल सिंदूरां आंगा, आच गदाधर रूप अढंगा। भारथ थोक सबळ खळ भांगा, लागै झोका महाबळ लांगा ॥ खळ दसखंध उपाड़ण खूटा, कीरत भुज जाहर चिहूं कूटा । लखण काज आणण गिर लूंठा, टेक निवाह वाह किप-टंटा ॥ दायक खबर राम सिय दौड़ा, तोयक काळ नेस सिर तोड़ा। राड़ फतै पायक आरोड़ा खायक असुर धाड़ भड़ खोड़ा । जै नांमी गढ़ लंक जयंता, सिव एका दसमा निज संता। कीधौ अमर जांनुको कंता, हुकमी दास जाण हणमंता ॥२६४
दूही
किया निरूपण किसन' किव, गुण हर विध विध गीत।
जड़ता दाधव कवि जनां, जस राघव जग जीत ॥२६५ २६३. मोड़ा-मोड़ने वाला, पीछे हटाने वाला। जातधांनकी (यातुधान)-राक्षस । हणू
हनमान । जांनकी-सीता। पावराखोड़ा-लंगडा । वाहरे-धन्य-धन्य । जोधार-योद्धा,
वीर। २६४. प्रांगा-पहनावा। प्राच-हाथ। गदा-एक प्रकारका शस्त्र विशेष । अढंगा-अद्भ त ।
भारथ-युद्ध । थोक-समूह । भांगा-तोड़ने वाला, नाश करने वाला। मौका-धन्यवाद । लांगा-हनुमान । खळ-राक्षस । दसकंध-रावण । उपाडण-उखड़ने वाला । खूटाजड़ । चिहं कंटा-चारों दिशाओं । प्रांणण-लाने वाला। गिर-द्रोणाचल पर्वत । लूंठा-जबरदस्त । टेक-प्रण, मान । निवाह-निभाने वाला। वाह-शाबास । किपटूटा-हनुमान । दायक-देने वाला। दौड़ा-दौड़ने वाला, सेवक । तोयक-दुष्ट । नेसघर । सिर तोड़ा-शिरको तोड़ने वाला। राड़-युद्ध। पायक-प्राप्त करने वाला। प्रारोड़ा-जबरदस्त। खायक-नाश करने वाला, ध्वंश करने वाला। धाड़-शाबास, धन्य । भड़-योद्धा । खोड़ा-हनुमान । जयंता-जीतने वाला । कोधौ-किया।
जांनुकी-सीता । कंता-पति । हुकमी-हुक्म मानने वाला। हणमंता-हनुमान । २६५. निरूपण-वर्णन । गुण-यश । हर-हरि, विष्णु, श्रीरामचंद्र । विध विध-तरह
तरहके। जड़ता-अज्ञान । दाघव-जलानेको ।
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