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रघुवरजसप्रकास
गीत मही राखण गाथरा आखियातरा गातरा मेर । दैण सत्रां दाथरा हाथरा घाव दान ।। साथरै माथरा भंज क्रोधवांन समाथरा। स्रीनाथरा जोध भौका वातरा-सुजाव ।। धांनमाळी पछाड़ा हुकमां चाड़ा सीस धणी । रोखंगी ऊपाड़ा द्रोण भुजां राह दूत ॥ बैरियां ऊबेड़ जाड़ा धंखी माह बांबराड़ा। दुबाह अखाड़ाजीत धाड़ा रांमदूत ॥ तेही लंक सांगा सौ जोजनां गिणै तूछरेल । मछरेल अढांगा अयारां मेल मीच ॥ डरावणे रूपरा दयंतां भांगा दूछरेल । भांमणै रांमरा लांगा पूंछरेल भीच ॥ संतां अभैदानकी उछाह रे अरोड़ा सदा।
बिजै रोड़ा आंनकी जाहरे बार बार ॥ २६३. गाथरा-यशका। प्राखियातरा-अद्भ त, विचित्र, अमर । गातरा-शरीरका। मेर
सुमेरु पर्वत । दैण-देनेको। सत्रां-शत्रुनो। दाथरा-संहारका। माथरा-मस्तकका। भंज-नाश। समाथ रा-समर्थके। स्रीनाथरा-विष्णुका। जोध ( योद्धा )-वीर । झोका–धन्य-धन्य । वातरा-सुजाव-वायु-पुत्र, हनुमान । धानमाळी-एक असुरका नाम। पछाड़ा-मारने वाला, गिराने वाला। चाड़ा-चढ़ाने वाला। सीस-शिर । धणी-मालिक। रोखंगी-जोश वाला, रोष वाला। ऊपाड़ा-उठाने वाला। द्रोणद्रोणाचल पर्वत । ऊबेड़-उन्मूलन कर, उखाड़ कर । जाड़ा-जबड़ा। धंखी-जोश वाला, उमंग वाला, द्वेष वाला । बांबराड़ा-जबरदस्त । दुबाह-वीर, योद्धा । अखाड़ाजीत-युद्ध विजयी। धाड़ा-धन्य-धन्य, शाबास । जोजनां-योजनों। तूछरेल-वीर । मूछरेल-मूछों वाला, वीर । अढांगा-महान, विकट । अयारां--शत्रुओं । मीच-मृत्यु, मौत । डरावणे-भयप्रद, भयावह । दयंतां-दैत्यों । भांगा-नाश करने वाला, वीर । दूछरेलवीर, योद्धा । भामणै-न्यौछावर, बलैया। लांगा-हनुमान। पूंछरेल-पूंछधारी । भीच-योद्धा। उछाह-उमंग, जोश । अरोड़ा-जबरदस्त । बिजै-विजय । रोड़ाबजाने वाला, बजवाने वाला। प्रांनकी-नगाड़ा। जाहरे-प्रसिद्ध ।
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